टोरंटो। कनाडा की गुइल्फ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ऐसी दवा विकसित की है जो हार्ट अटैक और हार्ट फेल के खतरे से बचाने में कारगर सिद्ध होगी। यह दवा हार्ट फेल से बचाने के साथ उन दवाओं की जरूरत को भी खत्म कर देती है जो मरीज हार्ट फेल के खतरे से बचने के लिए लेते हैं। अमूमन एक बार हार्ट अटैक आने के बाद मरीज ताउम्र दवाएं खाते हैं जिनका कोई खास असर नहीं पड़ता। ऐसे में यह दवा काफी अहम साबित हो सकती है।
यह दवा हमारे शरीर की प्राकृतिक घड़ी यानी बॉडी क्लॉक के आधार काम करती है जिसे सर्कैडियन रिदम भी कहते हैं। बॉडी क्लॉक में जीन और प्रोटीन होते हैं जो 24 घंटे रात-दिन हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखते हैं। बॉडी क्लॉक का मैकेनिज्म (तंत्र) दिल में हेल्दी ब्लड फ्लो को कंट्रोल करता है। यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता टैमी मार्टिनो के अनुसार यह शोध असल में काफी रोमांचक है, क्योंकि यह एक ऐसे इलाज पर जोर देता है, जिससे हार्ट अटैक को तो ठीक किया ही जा सकता है, साथ ही हार्ट फेल के खतरे को भी विकसित होने से रोका जा सकता है।
हमने एसआर 90009 नामक इस दवा का परीक्षण चूहों पर किया और जाना कि इससे उनके शरीर में एनएलआरपी 3 इनफ्लेमेसम नामक सेल्युलर सेंसर की प्रोडक्शन कम हो गई। यह सेंसर दिल के टिश्यूज को नुकसान पहुंचाता है। दिल के टिश्यूज को नुकसान न पहुंचने की हालत में दिल को कई आघात नहीं पहुंचा और चूहों को हार्ट अटैक भी नहीं आया। इससे स्पष्ट है कि इस दवा से दिल को किसी तरह की क्षति नहीं होगी और भविष्य में लोग स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। वैसे हम परीक्षण के दौरान इस दवा की कार्यप्रणाली देखकर हैरान रह गए, क्योंकि यह काफी तेजी से काम करती है। यह खोज दिल के अन्य रोगों के उपचार का रास्ता भी खोजने में भी मदद कर सकती है। इस अध्ययन के नतीजे नेचर कम्युनिकेशन्स बायोलॉजी जर्नल में छपे हैं।