नोएडा : केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने संयुक्त राष्ट्र की उच्च स्तरीय बैठक में कहा, दुनिया में करीब 80 प्रतिशत एड्स प्रतिरोधी दवाओं की आपूर्ति भारतीय दवा कंपनियों द्वारा की जाती है। भारत के इस सहयोग से कम कीमत वाली जेनेरिक दवाओं से विकासशील देशों में एचआईवी इलाज तक पहुंच बढ़ाने में मदद मिली है।
नड्डा ने कहा कि भारत 15 वर्ष पहले एड्स संक्रमण के चलते खौफनाक दौर से गुजरा है। लेकिन प्रभावी प्रबंधन से भारत ने इस वायरस को कमजोर कर दिया। भारत में एड्स के चलते मौतों में 2007 के बाद से करीब 55 प्रतिशत की कमी आई है जबकि एचआईवी के नए संक्रमण में वर्ष 2000 के बाद से 66 प्रतिशत की कमी आयी है। उन्होंने कहा कि देश आज एड्स के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान कर रहा है।
ऐसा इसलिए क्योंकि वैश्विक रूप से इस्तेमाल होने वाली 80 प्रतिशत एंटीरेट्रोवायरल दवाओं की आपूर्ति भारतीय दवा उद्योग द्वारा की जा रही है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक नया राजनीतिक घोषणापत्र मंजूर किया जो एच.आई. वीएड्स की बीमारी से मुकाबले के लिए किफायती दवाओं के महत्व पर जोर देता है। नड्डा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय एड्स महामारी की वापसी का खतरा नहीं उठा सकता। विकसित देशों को दुनिया भर में इस बीमारी से लडऩे के वास्ते अपनी प्रतिबद्धता बढ़ाने के लिए और कार्य करना चाहिए।