मुंबई। देश की दो प्रमुख दवा कंपनियां दुनियाभर में कहर ढा रहे कोरोनावायरस कोविड-19 का टीका विकसित करने में लगी हैं। इसके चलते सरकार फिलहाल देश में क्लीनिकल परीक्षण के नियमों में ढील देने पर विचार कर रही है। सूत्रों का कहना है कि कोविड-19 को छोडक़र फिलहाल किसी भी अन्य क्लीनिकल परीक्षण को मंजूरी नहीं दी जाएगी। दवा उद्योग का मानना है कि इस समय कोविड-19 की रोकथाम और इलाज के लिए विकसित की जा रही दवाओं के क्लीनिकल परीक्षणों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की जरूरत है। केंद्रीय दवा मानक एवं नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने एक अधिसूचना में कहा कि मौजूदा स्थिति में देश में कोविड-19 के प्रसार को देखते हुए क्लीनिकल परीक्षण के दौरान कई चुनौतियां सामने आ सकती हैं। इससे निर्धारित प्रोटोकॉल और नियामकीय प्रावधानों के अनुपालन में परेशानी हो सकती है। जिन लोगों पर दवा का परीक्षण किया जाता है, उनके अधिकार, सुरक्षा और स्वास्थ्य की रक्षा सर्वोपरि है लेकिन अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण कुछ मामलों में प्रोटोकॉल में बदलाव जरूरी हो सकता है। फिलहाल देश को दो प्रमुख कंपनियां कैडिला हेल्थकेयर और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कोविड-19 का टीका विकसित करने का प्रयास कर रही हैं। अभी वे क्लीनिकल परीक्षण से पहले के चरण में हैं लेकिन देर-सवेर इनका इंसानों पर भी परीक्षण होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 20 मार्च को 44 ऐसी कंपनियों की सूची जारी की थी जो इस काम में जुटी हैं। इनमें केवल दो कंपनियां परीक्षण के पहले दौर में हैं जबकि बाकी कंपनियों क्लीनिकल परीक्षण से पहले के दौर में हैं। अधिकांश देशों में कोविड-19 महामारी के तीसरे चरण में पहुंचने से इसके टीके पर हो रहे शोध की गति तेज करना जरूरी हो गया है। वैश्विक शोध संस्थाएं पहले ही संकेत दे चुकी हैं कि इस साल पूरी दुनिया में इंसानों पर कई क्लीनिकल परीक्षण होंगे। अमेरिका की दिग्गज दवा कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन का कहना कि उसने कोविड-19 का टीका विकसित करने के लिए उस यौगिक को चुना है जिस पर वह जनवरी से काम कर रही थी। जायडस कैडिला को लगता है कि इसका टीका तैयार करना राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में है और वह फिलहाल जानवरों पर इसका परीक्षण शुरू करेगी। अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि वित्त वर्ष 2022 से पहले कोविड-19 के किसी भी टीके का व्यावसायिक उत्पादन मुश्किल है लेकिन जायडस जल्द इसका टीका विकसित करने के काम में दिन-रात जुटी है।
जायडस कैडिला के चेयरमैन पंकज पटेल का कहना था कि उनकी कंपनी आठ से दस महीने के भीतर टीका विकसित करने की दिशा में काम कर रही है। कंपनी को उम्मीद है कि वह तेजी से टीका विकसित करने में सफल होगी लेकिन इस बारे में अप्रैल के अंत तक ही तस्वीर साफ हो पाएगी। जायडस कोविड-19 का टीका विकसित करने के लिए दो स्तरीय रणनीति अपना रही है। इसके तहत एक डीएनए टीका बनाया जाएगा जो वायरस की झिल्ली में स्थित प्रोटीन के खिलाफ काम करेगी। वायरस इसी के सहारे प्रभावित मनुष्य को कोशिका में प्रवेश करता है। साथ ही खसरे के टीके में भी फेरबदल कर इस कोविड-19 का टीका तैयार किया जा रहा है। यह टीका लंबे समय तक एंटीबॉडीज के खिलाफ काम करेगा और संक्रमण से बचाएगा।
देश में जायडस टीका तकनीक केंद्र डीएनए टीके पर काम कर रहा है जबकि इसकी शोध कंपनी ऐटना बायोटेक यूरोप में दूसरे टीके पर काम कर रही है। पुणे का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भी कोविड-19 का टीका बनाने के लिए कोडजीनिक्स के साथ काम कर रहा है। केयर रेटिंग्स ने अपने हालिया नोट में कहा कि कोविड-19 के खिलाफ टीका विकसित करने के प्रयासों में न केवल अंतरराष्ट्रीय कंपनियां जुटी हैं बल्कि भारतीय कंपनियां भी इस दिशा में काम कर रही हैं।