जयपुर। विशेषज्ञों ने देश में हो रहे सभी दवा परीक्षणों को अवैध ठहराया है। क्लिनिकल ट्रायल को लेकर बने कानून और चुनौतियां पर पुणे में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। संगोष्ठी के दौरान अप्रैल 2018 में जयपुर के मालपाणी अस्पताल में हुए अनैतिक ड्रग ट्रायल का मसला भी गूंजा। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने कहा कि वर्ष 2005 से 2017 तक क्लिनिकल परीक्षण के कारण 4967 मौतें हुईं, 20758 रोगियों पर इन परीक्षणों का बुरा असर हुआ। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका विचाराधीन है। ड्रग ट्रायल की गड़बडिय़ों पर काबू के लिए पर्याप्त कानून और नीतियां नहीं हैं। ऐसे में वर्तमान में देश में जारी सभी दवा परीक्षणों को अनैतिक दवा परीक्षणों की श्रेणी में ही माना जाना चाहिए। संगोष्ठी में पीडि़त व उनके आश्रित भी शामिल हुए। राजस्थान नागरिक मंच के अनिल गोस्वामी और बसंत हरियाणा ने बताया कि अनियमितता साबित होने के बाद भी जयपुर के मालपाणी अस्पताल के विरुद्ध ठोस कार्रवाई नहीं की गई। पीडि़त सोहनलाल ने इस अस्पताल में धोखे से ट्रायल किए जाने की जानकारी दी। यह संगोष्ठी सावित्री बाई फुले विश्वविद्यालय पुणे, पोस्ट ग्रेजुएट विभाग आइएलएस लॉ कॉलेज पुणे और स्वास्थ्य अधिकार मंच इंदौर की ओर से आयोजित की गई।