रायपुर (छत्तीसगढ़)। केंद्र सरकार जीवनरक्षक दवाओं को सस्ती दरों में मरीजों तक पहुंचाने के लिए दाम तय करती है। इसे सीलिंग प्राइज या प्राइज कंट्रोल कहा जाता है। बावजूद इसके दवा निर्माता कंपनियां नियम-निर्देशों को ताक पर रखकर अपनी निर्धारित दरों से ही दवाएं बेच रही हैं। ऐसी दवा निर्माता कंपनियों के विरुद्ध छत्तीसगढ़ खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग इस साल अब तक 24 कंपनियों को नोटिस जारी कर चुका है। वहीं, हरिद्वार की रिप्रा फॉम्यूलेशन प्राइवेट लिमिटेड और हिमाचल प्रदेश की स्विस गॉर्नियर बायोटेक के विरुद्ध नेशनल प्राइज कंट्रोल अथॉरिटी (एनपीपीए) ने 25 लाख का जुर्माना लगाकर वसूली की है।
खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के सहायक औषधि नियंत्रक हिरेंद्र पटेल ने बताया कि एनपीपीए द्वारा जिन दवाओं को प्राइज कंट्रोल के दायरे में लाया गया है, निर्धारित दर से एक पैसा भी अधिक दर पर उन्हें नहीं बेचा जा सकता है। यह उपभोक्ताओं के साथ ठगी है। राज्य स्तर पर इसकी निगरानी जारी है। गौरतलब है कि एनपीपीए के निर्देश पर औषधि प्रशासन विभाग ने प्राइज कंट्रोल मॉनीटरिंग टीम गठित की है। बीते दो सालों से लगातार ड्रग विभाग दवाओं की जांच कर रहा है। थोक दवा दुकानों से लेकर मेडिकल स्टोर में दबिश दी जा रही है।