नई दिल्ली। देश में गरीब मरीजों को भी नई विकसित होने वाली दवाओं का लाभ मिल पाएगा। यह सब टीबी मसौदे में ट्रिप्स (बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापारिक पहलू) संबंधी छूट को इसमें फिर शामिल कर लिए जाने से संभव हो पाया है। इस मसौदे के अनुसार नई दवाओं का जेनरिक उत्पादन संभव हो सकेगा। वहीं, टीबी इलाज के लिए तकनीकी हस्तांतरण संभव होगा और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की मदद जारी रह सकेगी। गौरतलब है कि टीबी मरीजों के सस्ती दवा के हक को खत्म करने के लिए अमेरिका ने साजिश रची थी जो कि भारत सहित कई विकासशील देशों के दबाव के चलते कामयाब नहीं हो पाई।
अमेरिका अपनी दवा कंपनियों के फायदे को देखते हुए टीबी मसौदे से ट्रिप्स संबंधी छूटों को हटाने पर अड़ा था। अब संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की ओर से आने वाले टीबी मसौदे को सुधार कर ट्रिप्स संबंधी छूट को इसमें फिर शामिल कर लिया है। इससे भारत जैसे देशों की परेशानी दूर हो सकेगी, जहां टीबी मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव विकास शील का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय समझौते में ऐसा प्रावधान होने से विकसित होने वाली नई टीबी दवाओं का लाभ गरीब मरीजों को भी मिल पाएगा। यह एक सामूहिक प्रयास था। हम लगातार अपने रुख पर कायम रहे