सहारनपुर। नकली और अधोमानक दवाओं की बिक्री करने वाले माफिया सहारनपुर जिले में भी सक्रिय हैं। साथ ही पड़ोसी राज्य और जनपदों से भी नकली दवाओं की सप्लाई की जा रही है। पड़ोसी जनपद मुजफ्फरनगर में नकली दवाओं की खेप कई बार पकड़ी जा चुकी हैं, तो सहारनपुर में भी ऐसे मामले पकड़ में आए हैं। इसी साल मार्च माह में औषधि निरीक्षक और सदर बाजार पुलिस ने विश्वकर्मा चौक पर कार सवार दो लोगों को पकड़ा था, जो जीफी नामक 200 टैबलेट और मेकोसेफ एलबी की 200 टैबलेट रुड़की से लेकर आए थे।
यह नकली दवाएं रुड़की में किसी गोदाम में बनाई जा रही थीं और इनकी सप्लाई सहारनपुर में होती थी। तब पुलिस ने सुमित निवासी गांव छपरेड़ी खुर्द थाना झबरेड़ा हरिद्वार और मनीष कुमार निवासी शेरपुर खेलमऊ थाना झबरेड़ा हरिद्वार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। दोनों को कोर्ट में पेश करके जेल भेजा था।
नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने के मामले में पंजाब पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद इस गैंग के साथी अखलद उर्फ अली निवासी खाताखेड़ी सहारनपुर को भी दबोचा गया था। इन लोगों ने 10 हजार नकली रेमडेसिविर तैयार कर पानीपत, रेवाड़ी, भिवानी, अंबाला, रुड़की, पंजाब और दिल्ली में पांच करोड़ रुपये में बेचे थे।
नकली और अधोमानक दवाओं की बिक्री रोकने को लेकर खाद्य एवं औषधि प्रशासन की तरफ से नमूने लिए जा रहे हैं। एक अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक कुल 93 नमूने लिए गए। इनमें से 50 नमूने तो सही पाए गए, लेकिन सात नमूनों की रिपोर्ट में दवाएं नकली मिलीं। इसके अलावा चार नमूने मिस ब्रांडेड भी मिले, जिनमें ब्रांडेड कंपनी के नाम से दवा बेचने की पुष्टि हुई। वहीं, दो नमूने अधोमानक पाए गए। औषधि निरीक्षक संदीप कुमार ने बताया कि नकली और अधोमानक दवाओं के मामले में विवेचना पूरी होने पर 12 मुकदमे दर्ज कराए जा चुके हैं, जबकि तीन विवेचना अभी चल रही हैं। अन्य नमूनों की जांच रिपोर्ट आनी बाकी है।