हरियाणा : देश भर में त्यौहार के मौसम में अक्सर खाद्य पदार्थ में मिलावट की खबरें सामने आती हैं। ऐसे में हरियाणा में हर साल के सीजन में 30 फ़ीसदी तक के खाद्य पदार्थों के सैंपल के जांच नहीं हो पाते हैं।
आपको बता दें कि विभाग में कुल 45 पद स्वीकृत है। इन्हें भरने के लिए संबंधित कमीशन को भी पत्र लिखा गया है। इन्हें भरने की प्रक्रिया अंडर प्रोसेस है। वही 45 में से 41 पर अभी खाली है। जिसका मुख्य वजह स्टाफ की कमी है और बड़े पैमाने पर सैंपल जांच में देरी होती है, जिससे रिपोर्ट आने तक मिलावटी खाद्य सामग्री लोग खा चुके होते हैं।
वहीं स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए फूड एंड ड्रग डिपार्टमेंट ने राज्य सरकार से अनुमति ली थी जिसमें यह भी कहा गया था कि पशु चिकित्सक भी फूड सैंपल जांच के लिए सैंपल भर सकेंगे और उनके प्रक्रिया में सहयोग करेंगे। वहीं सरकार पर मिलने के बाद स्टाफ की कमी को दूर करने का रास्ता साफ हो गया था, लेकिन संबंधित विभाग द्वारा पशु चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं किया जा सका ।
आपको बता दें कि फूड सैंपल की जांच के लिए 12 पशु चिकित्सकों को फूड सैंपल भरने की अनुमति दी गई थी। करीब 1 माह पहले इसके प्रस्ताव को हरी झंडी दिखाई गई थी और एनिमल हसबेंडरी विभाग के 12 पशु चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति पर फूड एंड एडमिनिस्ट्रेशन विभाग में भेजा गया था।
लेकिन एनिमल हसबेंडरी द्वारा इन चिकित्सकों को रिलीव नहीं किया गया जिसके चलते विभाग के मौजूदा आदेश पर तलवार लटक गई है और विभाग में स्टाफ की कमी बनी हुई है। इन चिकित्सको के नाम उनमें डॉ रमेश चंद चौहान, डॉ आजाद सिंह, डॉ सुमेंद्र सिंह जुनेजा, डॉ राजेश वर्मा, डॉ पंकज शर्मा, डॉ प्रदीप कुमार, डॉ पवन चहल, डॉ बिरेंद्र सिंह, डॉ राजीव नागर, डॉ योगेश कुमार, अमित कुमार और डॉ गौरव है।
फिलहाल विभाग के पास चार नियमित एएफओ है। वहीं साथ विभाग से 9 एडिशनल डॉक्टर है जिनमें स्टाफ की कमी होने के चलते सैंपल भरने की प्रक्रिया में देरी होती है। और इससे मिलावटखोरों को समय रहते नहीं पकड़ा जा सकता है।