शहडोल (मध्य प्रदेश)। निजी अस्पताल में डायलिसिस करवाने आए आयुष्मान कार्डधारी मरीज को वापस लौटा दिए जाने का मामला सामने आया है। मरीज ने इसकी शिकायत CMHO की है।

यह है मामला

सरकार आयुष्मान कार्ड से 5 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज का दावा करती है, वहीं यह योजना अस्पताल में सिर्फ दिखावा साबित हो रही है। शहडोल के एक निजी अस्पताल में आयुष्मान कार्डधारी गरीब मरीज को बिना डायलिसिस के ही लौटा दिया गया। मरीज ने इसकी शिकायत CMHO से की है।

उमरिया जिले के नौरोजाबाद में रहने वाले 55 वर्षीय नईम उल्ला किडनी की बीमारी से ग्रसित हैं। कई बड़े अस्पतालों में इलाज के बावजूद उन्हें आराम नहीं मिला। उन्हें अब डायलिसिस करवाना पड़ रहा है। उमरिया जिले की डायलिसिस मशीन कई दिनों से खराब होने के कारण नईम अमृता अस्पताल डायलिसिस कराने पहुंचे।

वहां उन्होंने अपना आयुष्मान कार्ड दिखाया और डायलिसिस करने को कहा, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने आयुष्मान कार्ड देख कर डायलिसिस करने से मना कर दिया। यह कहते हुए कि उनकी सीट खाली नहीं है। किसी और दिन डायलिसिस संभव है।

इस बात से आहत होकर नईम वापस लौट गए और किसी तरह जिला अस्पताल में अपना डायलिसिस करवाया। अब उन्होंने मामले की लिखित शिकायत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य से की है। मरीज का आरोप है कि आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद अमृता अस्पताल में उनका डायलिसिस नहीं किया गया। बल्कि निर्धारित राशि से अधिक राशि की मांग करते हुए उनका डायलिसिस करने से मना कर दिया गया।

अस्पताल प्रबंधन ने आरोप को निराधार बताया

इस मामले में अस्पताल के मैनेजर राहुल सोनी का कहना है कि आरोप निराधार है। वो खुद चाहते हैं कि आयुष्मान कार्डधारी डायलिसिस कराने अस्पताल आएं, क्योंकि हमें आयुष्मान कार्ड से डायलिसिस करने में अधिक पैसा मिलता है। वहीं इस पूरे मामले में CMHO डॉ. एके लाल का कहना है कि आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद अमृता अस्पताल में डायलिसिस नहीं किए जाने की शिकायत मिली है। इसकी जांच की जाएगी। मरीज का जिला अस्पताल में डायलिसिस करा दिया गया है।