कांग्रेसी नेता एवं पंजाब कांग्रेस अल्पसंख्यक सेल के पूर्व चेयरमैन दिलवर मोहम्मद खान ने प्रेस कॉन्फ्रेस में कहा है कि राज्य की अकाली भाजपा सरकार द्वारा पंजाब में जो बढिय़ा स्वास्थ्य सुविधाएं देने के जो दावे किए जा रहे हैं, वह राजनेतिक बयानबाजी से बढक़र और कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पताल में मरीजों की संख्या ज्यादा है जबकि बैड कम हैं। ज्यादातर सरकारी अस्पताल तो मरीजों को रेफर करने वाले अस्पताल बन गए हैं।

खान ने कहा कि सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलिजेंस द्वारा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जो रिपोर्ट सौंपी गई है के अनुसार मरीजों के ओवरलोड मामले में पहला नंबर बिहार का है, जहां 70701 लोगों के लिए एक सरकारी अस्पताल है और 8789 लोगों के लिए एक बैड है। वहीं पंजाब का नंबर 7वां है जहां 1.19 लाख लोगों के पीछे एक सरकारी अस्पताल है। इन सरकारी अस्पतालों में बैडों की गिनती 11804 है और 2420 लोगों के पीछे एक बैड है।

उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है। पंजाब कम्युनिटी हेल्थ सेंटरों में इस समय 600 स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की जरूरत है, जबकि अस्पतालों में सिर्फ 202 डॉक्टर तैनात हैं। जिला स्तरीय सरकारी अस्पतालों में 684 डॉक्टरों की जरूरत है। सब डिवीजन स्तरीय अस्पतालों में 718 स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की जरूरत है और 202 डॉक्टरों की कमी है। इसी तरह पंजाब के सभी सरकारी अस्पतालों में स्टाफ नर्सों की भी भारी कमी देखने को मिल रही है। पंजाब में कुल 42013 डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं। 23029 एएनएम और 41533 फार्मासिस्ट रजिस्टर्ड है। इसके अलावा सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के अलावा पेरामेडिकल स्टाफ की भी भारी कमी है।

61.19 लाख पंजाबियों के लिए एक सरकारी अस्पताल और 2420 लोगों के लिए अस्पतालों में है एक बैड