तिरुवनंतपुरम (केरल)। पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड कंपनी को केरल राज्य में अपनी दवाइयों के भ्रामक प्रचार को बंद करने या संशोधित करने का निर्देश जारी किए गए है। यह निर्देश भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) ने जारी किए।

कैप्सूल ने दी थी शिकायत

इस बारे में केरल शास्त्र साहित्य परिषद (केएसएसपी) के सार्वजनिक स्वास्थ्य समूह कैंपेन अगेंस्ट स्यूडो साइंस यूजिंग लॉ एंड एथिक्स (कैप्सूल) ने शिकायत दर्ज करवराई थी। एएससीआई ने दर्ज शिकायतों के आधार पर यह निर्देश जारी किए।

पांच दवाइयों ने की नियमों की अनदेखी

उपभोक्ता शिकायत परिषद (सीसीसी) के अनुसार पतंजलि आयुर्वेद की पांच दवाएं – लिवोग्रिट वाइटल, लिवामृत एडवांस, मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर, बीपी ग्रिट और मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर ने नियम का उल्लंघन किया है। बता दें कि उपभोक्ता शिकायत परिषद (सीसीसी) एक स्वतंत्र पैनल है। यह शिकायतों और विज्ञापनदाताओं की प्रतिक्रियाओं की समीक्षा करता है। समीक्षा के आधार पर अपनी सिफारिश देता है। यह बताता है कि विज्ञापन में बदलाव की जरूरत है या नहीं।

22 दिसंबर तक विज्ञापन बंद करने या संशोधित करने की सलाह

सीसीसी ने अपनी जांच में पाया कि पतंजलि के दावे वैज्ञानिक साक्ष्य, या उत्पाद प्रभावकारिता के नैदानिक साक्ष्य से प्रमाणित नहीं मिले। इसका कोई साक्ष्य नहीं कि उनके यह उत्पाद दावा किए गए लाभ प्रदान करते हंै। एएससीआई ने निर्देश दिए हैं कि 22 दिसंबर तक विज्ञापन को उचित रूप से संशोधित किया जाए। या फिर उक्त विज्ञापन को वापस ले लिया जाए।