देहरादून। पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी की 14 दवाइयों के विनिर्माण लाइसेंस सस्पेंड किए जाने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी गयी है। इससे पतंजलि कंपनी को बड़ी राहत मिली है।
मामले की जांच कर रही एक उच्च स्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दवाइयों के विनिर्माण का लाइसेंस सस्पेंड करने आदेश अवैध है और लाइसेंसिंग प्राधिकरण को इस आदेश को उस तरीके से पारित नहीं करना चाहिए था, जैसे उसने किया।
आयुष सचिव पंकज कुमार पांडेय ने कहा कि समिति की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर कंपनियों के दवाइयां बनाने के लाइसेंस सस्पेंड करने के आदेश पर तत्काल प्रभाव से अंतरिम रोक लगा दी गई है। कंपनियों ने राज्य औषधि लाइसेंसिंग प्राधिकरण के आदेश को चुनौती दी थी।
आदेश में कहा गया है कि चूंकि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन किए बिना लाइसेंस निलंबित किया गया है, इसलिए समिति इस संबंध में उचित निर्णय के लिए उत्तराखंड सरकार को अपनी रिपोर्ट जमा कर रही है।
इन दवाओं के लाइसेंस किए गए थे सस्पेंड
बता दें कि राज्य औषधि लाइसेंसिंग प्राधिकरण, आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाओं ने बीते माह दोनों कंपनियों द्वारा बनाई जा रहीं 14 दवाइयों के लाइसेंस सस्पेंड कर दिए थे। जिन दवाओं के विनिर्माण लाइसेंस सस्पेंड किए गए थे, उनमें श्वसारी गोल्ड, श्वसारी वटी, ब्रोनचोम, श्वसारी प्रवाही, श्वसारी अवालेह, मुक्ता वटी एक्सट्रा पॉवर, लिपिडोम, बीपी ग्रिट, मधुग्रिट, मधुनाशिनी वटी एक्सट्रा पॉवर, लिवामृत एडवांस, लिवोग्रिट, आईग्रिट गोल्ड और पतंजलि दृष्टि आईड्रॉप शामिल थी।