जींद। जींद में एमएलआर काटने को लेकर विवाद काफी विवाद पकड़ गया है। इसके कारण पत्रकारों और नागरिक अस्पताल के डॉक्टरों में काफी तनाव का माहौल है। गलती होते हुए भी इमरजेंसी के 5 डॉक्टर धरने पर बैठ गए हैं और नारेबाजी कर रहे हैं। लेकिन पत्रकार भी पीछे हटने के मूड में नहीं है। उनका कहना है कि अगर बड़े आला अधिकारीयों की बात ये डॉक्टर नहीं सुनते तो आम जनता के साथ रात में कैसा व्यवहार करते होंगे। इसलिए इन लोगों पर कार्रवाई जरुरी है। मामला घायल मजदूरों की एमएलआर को लेकर है।

गौरतलब है कि रविवार रात को निर्जन गांव में रात को पाइप लाइन दबाने को लेकर काम चल रहा था जिसमे गांव वालों ने काम रुकवाने के लिए मजदूरों की बुरी तरह से पिटाई कर दी थी, जिसमे दो मजदूर घायल हो गए थे। घायल होकर आए मजदूरों को जींद सिविल अस्पताल में लेकर आया गया तो ऑन ड्यूटी डॉ स्नेहा ने तीन घंटे तक न तो कोई इलाज किया और न ही एमएलआर काटी। मौके पर मौजूद एक पत्रकार ने आला अधिकारीयों से फोन भी करवाया लेकिन डॉ स्नेहा ने व्यस्तता दिखाते हुए इग्नोर किया और ड्यूटी खत्म कर चली गई।

डयूटी पर जब दूसरा डॉक्टर रोहित आया तो उन से भी रिक्वेस्ट की गई लेकिन वह इलाज करने की जगह अपनी सीट से उठकर चला गया और वापिस नहीं आया। मजदूरों और पत्रकारों ने सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में डयूटी दे रहे 2 चिकित्सकों पर ईलाज नहीं करने का आरोप लगाया। इलाज नहीं होता देखकर घायलों के परिजनों ने इमरजेंसी में हंगामा किया। इसका पता चलते ही डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला इमरजेंसी में पहुंचे और वहां पर तैनात चिकित्सक डा. स्नेहा और डा. रोहित मल्होत्रा से इलाज नहीं करने तथा एमएलआर काटने में देरी का कारण पूछा।

इसी दौरान डा. रोहित ने कहा कि हमला गांव निर्जन में हुआ है, इसलिए उनको सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कंडेला जाना पड़ेगा। इस पर डिप्टी एमएस डॉ भोला ने उनको फटकार लगा दी थी। बाद में विवाद बढ़ गया तो मौके पर पुलिस भी पहुंची। पत्रकार के दोबारा फोन करने पर डिप्टी एमएस डॉ राजेश भोला खुद पहुंचे और चिकित्सकों को ईलाज नहीं करने पर लताड़ लगाई। जिसके विरोध में सोमवार सुबह 5 चिकित्सक सिविल अस्पताल के बाहर धरने पर बैठ गए।

सिविल सर्जन डॉ. मनजीत सिंह ने कहा कि मामले की जांच करवाकर चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस प्रकार इमरजेंसी में ड्यूटी छोड़कर कोई चिकित्सक नहीं भाग सकता। 3 घण्टे बाद सिविल सर्जन डॉ मंजीत सिंह ने चिकित्सकों को समझाकर धरने से उठाया। उसके बाद सिविल सर्जन ने चिकित्सकों और डॉ भोला को बुलाया। इस मौके पर डॉ गोपाल गोयल भी मौजूद थे। इस पर माफी मांगने को कहा, लेकिन दोनों पक्षों ने माफी मांगने से मना कर दिया और मामला सुलझ नहीं पाया। चिकित्सकों का आरोप था कि डॉ भोला ने उनकी बेइज्जती की है।

पीएमओ व मेडिकल सुपरिंटेंडेंट ने दोनों पक्षों की बात सुनी और मामले को खत्म करने को कहा। लेकिन, कोई पक्ष नहीं माना। दोनों पक्षों की तरफ से शिकायतें पीएमओ को दी गई। धरने पर बैठे डॉक्टरों ने शिकायत स्वास्थ्य महानिदेशक, डीजीपी हरियाणा, पीएमओ सिविल अस्पताल व आरएमओ सिविल अस्पताल को भेजी है। वहीं डिप्टी एमएस ने भी अपनी शिकायत उच्चाधिकारियों को भेजी है।

वहीँ परिजनों ने एसपी वसीम अकरम को शिकायत दी है। रामकली निवासी अनिल ने शिकायत में आरोप लगाया है कि 29 अगस्त की रात घायल परिजन को सिविल अस्पताल आए तो डॉक्टरों ने इलाज नहीं किया। उनके परिजन दर्द से कराहते रहे, लेकिन डॉक्टरों ने ध्यान नहीं दिया। यहां तक की फर्स्ट एड तक नहीं दी गई। इस बारे में उन्होंने विधायक, सीएमओ, डिप्टी एमएस को सूचना दी। सूचना पर डिप्टी एमएस आए तो डॉक्टरों ने उनके साथ भी अच्छा व्यवहार नहीं किया।

अब पत्रकारों का कहना है कि जिस तरह से डॉक्टर इमरजेंसी छोड़कर धरने पर बैठे हैं, उससे अंदर मरीज परेशान है। लेकिन मरीजों का दुःख देखकर भी धरती के ये भगवान राजनीति में लगे हैं। अगर इनके खिलाफ अस्पताल प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो हम पहले एसपी के सामने पेश होंगे और अपनी बात रखेंगे। अगर उन्होंने भी सुनवाई नहीं की तो स्वास्थ्य मंत्री के सामने भी पेश होंगे और अपनी बात रखेंगे।

एमएस डॉ. गोपाल गोयल ने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में आया है। दोनों पक्षों की बातचीत कराई गई थी ताकि मामला सुलझ सके, लेकिन कोई पक्ष नहीं माना। दोनों पक्षों की तरफ से शिकायत दी गई है। डॉक्टरों के ड्यूटी छोड़कर जाना गलत है, लेकिन बाद में डॉक्टर ड्यूटी पर आ गए थे। सोमवार को उन्होंने धरना दिया था, जिसके चलते दूसरे डॉक्टरों की ड्यूटी लगा दी गई थी।