रांची। विवाद और आरोपों के बावजूद राज्य में पहली बार झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल के सदस्यों का निर्वाचन संपन्न हो गया। पोस्टल बैलेट के आधार पर चुनाव कराए जाने के बाद प्राप्त मतों की गणना हुई। इसके बाद छह सदस्यों को निर्वाचन का प्रमाणपत्र दे दिया गया। बताया गया कि चुनाव में वैध मतों की कुल संख्या 7,416 थी। 338 मत अवैध पाए गए थे। छह सदस्यों के निर्वाचन के लिए 32 फार्मासिस्ट ने नामांकन किया था, जिनमें से दो ने नाम वापस ले लिया था। निर्वाचित सदस्यों में प्रशांत कुमार पांडेय को 697 मत मिले। वहीं, धर्मेद्र सिंह को 691, प्रियंका कुमारी को 671, रंधीर कुमार गुप्ता को 655, अनूप कुमार साव को 648 तथा कंचन कुमारी को कुल 643 मत मिले। इधर, काउंटिंग के दौरान कई फार्मासिस्टों ने रिटर्निंग ऑफिसर सह रजिस्ट्रार कौशलेंद्र कुमार पर गड़बड़ी के आरोप लगाया। मतगणना के दौरान झारखंड फार्मासिस्ट फाउंडेशन के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया। फाउंडेशन के सदस्यों ने रिटर्निंग ऑफिसर पर मतगणना में धांधली का आरोप लगाते हुए बरियातू स्थित फार्मासिस्ट कॉलेज के बाहर घंटों धरना-प्रदर्शन किया। फाउंडेशन के झारखंड प्रभारी जितेंद्र शर्मा ने आरोप लगाया कि रिटर्निंग ऑफिसर अपने प्रतिनिधियों को जिताने में लगे हंै। पारदर्शिता के साथ मतों की गणना नहीं हुई। फार्मासिस्टों का कहना था कि जिनका निर्वाचन किया गया है उन्हें 600 से अधिक वोट मिले हैं, जबकि अन्य को काफी कम। धरने पर बैठने वालों में फाउंडेशन के प्रदेश अध्यक्ष सुमित दास, सदस्य कुंदन कुमार सिंह, अमित कुमार आदि शामिल रहे। इधर, झारखंड फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने भी निर्वाचन पर शंका व्यक्त की है। एसोसिएशन के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया पर पहले ही निर्वाचित सदस्यों के नाम आ रहे थे। जब परिणाम सामने आए तो वे ही नाम निकले। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ ऐसे फार्मासिस्टों का भी निर्वाचन हुआ, जिनकी झारखंड में कोई पहचान भी नहीं है। उधर, झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार सह रिटर्निग ऑफिसर के कौशलेंद्र कुमार का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षकों की निगरानी में पूरा चुनाव हुआ है। चुनाव पूरी तरह निष्पक्ष हुआ है।