नई दिल्ली। महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद आयुर्वेदिक दवाइयां कितनी उपयोगी और फायदेमंद है, इस पर आयुष मंत्रालय अध्ययन कराएगा। अध्ययन के दौरान गर्भवती को शरीर में खून और प्रसव बाद दूध की मात्रा तथा उसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए जड़ी-बूटी से बनी दवा यानी आयुर्वेदिक दवा दी जाएगी। अध्ययन महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में 9 हजार गर्भवती महिलाओं पर किया जाएगा। इसमें 18 से 40 साल तक की महिलाओं को शामिल किया जाएगा। गढ़चिरौली जिले के 30 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को चुना गया है। इसमें 8 से 10 सप्ताह तक की गर्भवती महिलाओं को ही शामिल किया जाएगा। नौ हजार गर्भवती महिलाओं को 4500-4500 के दो समूह में बांटा जाएगा। एक समूह में केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत की जाने वाली इलाज प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। दूसरे समूह की गर्भवती महिलाओं को सरकारी योजनाओं दवाओं के साथ ही आयुष मंत्रालय बनाए प्रोटोकॉल के तहत आयुर्वेदिक दवा दी जाएगी। इसके लिए हर केंद्र पर आयुष के प्रशिक्षित डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी लगाए जाएंगे। दो वर्ष के बाद करीब एक वर्ष तक दोनों समूहों में शामिल गर्भवती और होने वाले नवजात के स्वास्थ्य का तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा। देखा जाएगा कि किस समूह की गर्भवती और उनसे होने वाले नवजात का स्वास्थ्य अच्छा रहा है। गर्भावस्था के दौरान खून बढ़ाने, हड्डियों को मजबूत करने की दवा, जी मचलाना और उल्टी कम करने, पैरों में सूजन कम करने की दवा दी जाएगी। प्रसव के बाद पेट और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए तेल, पीठ दर्द, बदन दर्द के अलावा दूध की मात्रा और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए दवा दी जाएगी। दो साल के प्रयोग के बाद मूल्यांकन किया जाएगा। इसका मकसद एलोपैथी के साथ आयुर्वेद पद्धति से इलाज के फायदे का आंकलन करना है और इसी आधार पर आयुर्वेदिक इलाज को वैज्ञानिक आधार दिया जाएगा।