ग्वालियर। ग्वालियर बहुचर्चित प्लाज्मा मामले में अभी तक कोई जांच नहीं हुई है। दरअसल कई दिन गुजरने के बाद भी अपोलो की लापरवाही जिला प्रशासन की फाइल में बंद है। मिलावटी प्लाज्मा से अपोलो अस्पताल में दतिया के कारोबारी मनोज गुप्ता की मौत ने प्रदेश ही नहीं देश में ग्वालियर का नाम खराब किया। इस मामले को लेकर झांसी के सांसद अनुराग शर्मा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सीबीआई जांच तक की मांग कर चुके हैं। फिर भी जिम्मेदार अफसरों का सुस्त रवैया कई सवाल खड़े कर रहा है। गौरतलब है कि राधास्वामी ब्लड बैंक में आठ बैग प्लाज्मा रखा मिला था। जांच में यह बात सामने आई कि कुछ बैग में कोरोना की एंटीबॉडी भी पाई गई। इससे साफ हो जाता है कि ब्लड बैंक में कोरोना पॉजिटिव रहे मरीजों के रक्तदान से प्लाज्मा तैयार कर अस्पतालों में मनमाफिक दाम पर बेचा जाता होगा। दरअसल राधास्वामी ब्लड बैंक पर मिले प्लाज्मा मिलावटी नहीं बताया जा रहा है। मगर जो कंटेंट प्लाज्मा में मौजूद थे उनमें से प्रोटीन की मात्रा 20 प्रतिशत कम पाई गई। आशंका यह भी जताई जा रही है कि प्लाज्माकांड के मुख्य आरोपी अजय त्यागी के राधास्वामी से कहीं कोई लिंक तो नहीं था मगर यह जांच का विषय है।

बता दें कि प्लाज्माकांड का मुख्य आरोपी अजय त्यागी के मकान को तोड़ने के लिए मदाखलत की टीम चंद्रबदनी नाका जा पहुंची। मकान पर मशीन लगाते उससे पहले ही मकान मालिक सामने आ गया। तब पता चला कि अजय त्यागी तो किराए के घर में रह रहा था। जिसके बाद टीम को वापस लौटना पड़ा। तो वहीं दूसरी तरफ सीएमएचओ-डा.मनीष शर्मा ने बताया कि प्लाज्मा कांड के मामले में स्वास्थ्य विभाग ने हर बिंदू पर जांच की। जांच रिपोर्ट भी प्रशासन को सौंपी जा चुकी है। जांच रिपोर्ट पर प्रशासनिक अफसर क्या कदम उठाते हैं यह वही बता सकते। गौरतलब है कि राधास्वामी ब्लड बैंक पर मिले आठ बैग में जो पदार्थ भरा मिला था उसकी जांच रिपोर्ट भी जीआरएमसी की माइक्रोबायोलॉजी लैब से ड्रग विभाग को मिल चुकी है। जांच रिपोर्ट में बैग में रखा पदार्थ प्लाज्मा ही था बताया गया है। जबकि राधास्वामी ब्लड बैंक को प्लाज्मा निकालने की परमिशन नहीं थी। जिस मशीन से प्लाज्मा तैयार हुआ वह भी ब्लड बैंक पर मिली पर ड्रग विभाग ने अबतक जब्त नहीं की।