मुम्बई। देशभर में फार्मासिस्ट का प्रमाण-पत्र पाने के लिए लोग भिन्न-भिन्न प्रकार के हथकंडे अपनाते हैं परंतु राज्य फार्मेसी कौंसिल की सजगता के चलते उनके मंसूबे अक्सर पूरे नहीं हो पाते। ऐसे ही एक मामले में फर्जी तौर पर फार्मासिस्ट का प्रमाण पत्र हासिल करने के प्रयास में आरोपी महिला अहीर रोहिणी प्रदीप के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

जानकारी अनुसार वर्ष 2015 में अहीर रोहिणी प्रदीप नामक महिला ने डिप्लोमा इन फार्मेसी का प्रमाण-पत्र लेने के लिए महाराष्ट्र स्टेट फार्मेसी कौंसिल को अपनी शैक्षणिक योग्यता के दस्तावेज प्रस्तुत किए। इस बारे में महाराष्ट्र स्टेट फार्मेसी कौंसिल की रजिस्ट्रार शैली एस माशल ने बताया कि आवेदन पत्र मिलने पर आवेदकों के प्रमाणपत्रों की सत्यता परखने के बाद ही उन्हें डिप्लोमा इन फार्मेसी प्रमाण पत्र जारी करती है। उन्होंने बताया कि अहीर रोहिणी प्रदीप के दस्तावेज भी सत्यता परखने के लिए आचार्य एंड बीएम कॉलेज ऑफ फार्मेसी बेंगलुरु को प्रेषित किए गए थे। वहां से काउंसिल को सूचित किया गया कि अहीर रोहिणी प्रदीप ने उक्त कॉलेज में कभी शिक्षा ग्रहण नहीं की।

अत: यह दस्तावेज आधारहीन हैं। इस पर संज्ञान लेते हुए महाराष्ट्र स्टेट फार्मेसी कौंसिल ने अहीर रोहिणी प्रदीप के खिलाफ पुलिस में भारतीय दंड विधान 420, 465, 466, 468, 471, 529 के तहत मामला दर्ज करवा दिया। फिलहाल, पुलिस आगे की कार्रवाई को अमल में लाने की प्रक्रिया में जुटी है। रजिस्ट्रार ने बताया कि गत 5 वर्षों में करीब 10 ऐसे लोगों के नाम सामने आए हैं जिन्होंने फर्जी रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया था। उन सबके खिलाफ पुलिस कार्रवाई जारी है। हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के महाराष्ट्र दौरे के दौरान महाराष्ट्र स्टेट फार्मासिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश थाम ले ने उन्हें एक मांग पत्र सौंपकर फर्जी फार्मासिस्ट के रजिस्ट्रेशन में हो रहे गड़बड़झाले पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही। कैलाश थाम ने फार्मासिस्टों को एथिकल के स्थान पर जेनेरिक मेडिसिन रोगी को उपलब्ध करवाने की सक्षमता प्रदान करने की मांग की।