रांची (झारखंड)। राज्य में करीब 1530 दवा दुकानें बिना फार्मासिस्ट के चल रही हैं। इन दवा दुकानों में या तो फार्मासिस्ट नहीं हैं या फिर उनमें फर्जी फार्मासिस्ट काम कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग को इसकी शिकायत मिली है। शिकायतकर्ता ने बकायदा इन दुकानों की सूची भी विभाग को सौंपी है और इस मामले में आवश्यक कार्रवाई की मांग की है। गौरतलब है कि दवा दुकानों में निबंधित फार्मासिस्ट नहीं होने से सही दवा मरीजों व परिजनों को दिए जाने पर हमेशा संशय बना रहता है। ऐसे में मरीजों की जान पर भी बन आती है। शिकायत में कहा गया है कि औषधि प्रशासन को इसकी जानकारी होने के बाद भी ऐसी दवा दुकानों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं होती।
इससे दुकानदारों का मनोबल बढ़ रहा है। इसके परिणामस्वरूप निबंधित फार्मासिस्टों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। वहीं, फर्जी फार्मासिस्टों की चांदी है। शिकायत में यह भी कहा गया है कि बिना निबंधित फार्मासिस्ट वाले दुकानों तथा एक से अधिक दवा दुकानों में एक फार्मासिस्ट काम करने के मामले में झारखंड को पहले स्थान पर रखा गया है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। बता दें कि दवा दुकानों के लिए निबंधित फार्मासिस्ट होना अनिवार्य है। इसी के आधार पर उन्हें लाइसेंस मिलता है। एक फार्मासिस्ट के कई दुकानों में काम करने की भी शिकायत विभाग को अक्सर मिलती रहती है। दवा दुकान ही नहीं, सरकारी अस्पतालों में भी आवश्यक संख्या में फार्मासिस्ट नहीं हैं। लंबे समय से इस पद पर नियुक्ति नहीं होने से यह स्थिति हुई है। बता दें कि अस्पतालों में मरीजों को दवा देने की जिम्मेदारी फार्मासिस्टों की होती है।