कानपुर। फार्मासिस्ट बनने या मेडिकल स्टोर के संचालन के लिए अब डिप्लोमा इन फार्मेसी (डिफार्मा) करने के बाद आपको एक परीक्षा भी पास करनी होगी। इसे ‘एग्जिट एग्जामिनेशन’ नाम दिया गया है। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) के विशेषज्ञों ने इसके लिए डिप्लोमा इन फार्मेसी एग्जिट एग्जामिनेशन रेगुलेशन भी तैयार कर लिया है।
इस रेगुलेशन को प्राथमिक तौर पर केंद्र सरकार से मंजूरी मिल गई है। हालांकि लागू करने से पहले एक बार फिर इसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजा गया है।  इसके अलावा सभी राज्यों की सरकार से भी इस रेगुलेशन पर राय मांगी गई है। मंजूरी मिलते ही इसे इसी साल से लागू किया जा सकता है।
हालांकि यह परीक्षा उन्हें नहीं देनी होगी जो पहले से ही फार्मासिस्ट के लिए रजिस्टर्ड हो चुके हैं। पीसीआई की रजिस्ट्रार अर्चना मुदगल का कहना है कि एग्जिट एग्जामिनेशन का रेगुलेशन तैयार हो गया है। अब इसे लागू करने की प्रक्रिया पर काम किया जा रहा है। जैसे ही प्रदेश व मंत्रालय से अनुमति मिल जाएगी, इसे लागू कर दिया जाएगा। दरअसल, अभी तक दो साल का डिफार्मा कोर्स करने के बाद उम्मीदवार मेडिकल स्टोर का लाइसेंस पा लेता था और फार्मासिस्ट बन जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा। पीसीआई अब ऐसे सभी डिप्लोमा होल्डर्स के लिए एग्जिट एग्जामिनेशन अनिवार्य करने जा रही है। यह एग्जाम पास करने वाले ही रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट की श्रेणी में आएंगे। काउंसिल की तरफ से तैयार किए गए रेगुलेशन के मुताबिक एग्जिट एग्जाम से यह भी तय हो जाएगा कि उम्मीदवार सही तरीके से प्रैक्टिस करने के योग्य है या नहीं। काउंसिल की तरफ से डिप्लोमा होल्डर्स के लिए साल में दो बाद एग्जिट एग्जामिनेशन कराया जाएगा। यह एग्जाम कब और कहां-कहां होगा, इसके बारे में पीसीआई की तरफ से जानकारी जारी की जाएगी।