शिमला। आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट कर्मचारी महांसघ पर पैसों के दुरुपयोग का आरोप लगा है। इस संबंध में संघ नेताओं के खिलाफ प्रदेश विजिलेंस में शिकायत की गई है। आयुर्वेदिक कर्मचारी महासंघ के प्रधान गोविद ब्रागटा ने आरोप लगाया कि फार्मासिस्टों के पैसों का दुरुपयोग किया गया है। साथ ही वेतन विसंगतियां दूर करने और ग्रेड-पे के नाम पर फार्मासिस्टों से पांच वर्ष के दौरान लाखों रुपये इक_े किए, लेकिन उनका कोई पता नहीं है। आयुर्वेदिक फार्मासिस्टों को 1978 से 2012 तक एलोपैथिक फार्मासिस्टों के समान वेतन मिलता रहा। इसके बाद से वेतन और ग्रेड-पे में अंतर आ गया। करीब 6148 रुपये मासिक का प्रभाव प्रति फार्मासिस्ट पड़ रहा है। प्रदेश में 1172 आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट के पद हैं। गोविद ने कहा कि ट्रिब्यूनल में आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट महासंघ की तरफ से कोई याचिका दायर नहीं की गई है। हालांकि व्यक्तिगत आधार पर बीस कर्मचारियों ने याचिका दायर की है। उधर, प्रदेश आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष विनोद कुमार शर्मा ने कहा कि गोविद ब्रागटा न तो महासंघ के सदस्य हैं और न उन्होंने चंदा दिया है। जिन लोगों ने पैसे दिए हैं उन्हें पता है कि कोई हेरफेर नहीं हुआ है। पांच लाख रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष में दिए हैं। मामला ट्रिब्यूनल में व्यक्तिगत आधार पर दायर किया है। वकील से फीस तय की गई है, कर्मचारी चाहे कितने भी शामिल हों। गोविद पर तो भ्रष्टाचार और गबन के कई मामले हैं। मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत की है।