मऊ (उत्तर प्रदेश)। दवाओं की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि और दवा की दुकानों पर फार्मासिस्ट की अनिवार्यता को लेकर घोसी के दवा व्यवसायी अब आंदोलन करेंगे। अगर फिर भी बात नहीं बनी तो अंतिम विकल्प के रूप में कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। इस संबंध में तहसील स्तरीय दवा विक्रेता कल्याण समिति की आयोजित बैठक में अध्यक्ष अरविद कुमार पांडेय ने कहा कि आम दवाओं के कीमतों में कंपनियों ने इतनी वृद्धि कर दी है कि गरीब तो दूर मध्यमवर्गीय रोगी भी उपचार कराने में असमर्थ हैं। केंद्र सरकार इन कंपनियों पर अंकुश लगाने में अक्षम है जबकि दवा दुकानों में फार्मासिस्ट की अनिवार्यता को लेकर दबाव बनाने के साथ ही इसे जटिल भी बना रही है। केंद्र एवं प्रदेश सरकार ने इस पर अंकुश न लगाया तो वह दिन दूर नहीं, जब मेडिकल हाल एक के बाद एक बंद होनेे लगेंंगे। संगठन के महामंत्री निर्भय पांडेय ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल एवं राष्ट्रीय संगठन के प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के बीच वार्ता के बावजूद समस्या का हल न होने को विडंबना बताया। उन्होंने प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ द्वारा भी इसे लेकर आश्वासन दिए जाने पर बाद में सब कुछ जस का तस होने की जानकारी दी। सचिव रमेश चंद सिंह, संगठन मंत्री अनु पम श्रीवास्तव, पारसनाथ मौर्य एवं बृजभान यादव आदि ने इस समस्या को लेकर आंदोलन एवं बाद में अदालत का दरवाजा खटखटाने का प्रस्ताव रखा। इसे बैठक में उपस्थित लालबिहारी गुप्ता, रजनीश श्रीवास्तव, तीर्थराज सिंह, शोएब निजामी एवं राजन बर्नवाल सहित सभी सदस्यों ने स्वीकृति प्रदान की।