करनाल। दवाएं तैयार करने के लिए जो रॉ मैटिरियल चाहिए, वह खासा महंगा हो चुका है। दवा निर्माताओं के अनुसार एथोमाइजिन के रॉ मैटेरियल की कीमत 7000 से बढ़कर 15000 रुपये प्रति किलो हो गई है तो पैरोसिटामोल के लिए प्रयुक्त होने वाला मैटिरियल अब 250 से बढ़कर 500 रुपये किलो पर मिल रहा है। कई मैटिरयल के दाम तो दस गुना तक अधिक हो गए हैं। मलेरियारोधी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का रॉ मैटिरियल 8000 रुपये से बढ़कर 80000 रुपये प्रति किलो के रेट पर मिल रहा है। सिफोरॉक्सीमएक्सिल के रॉ मैटिरियल के लिए 9000 से बढ़कर 16000 रुपये प्रति किलो तक चुकाने पड़ रहे हैं। इसी तरह कई अन्य मैटिरियल के दाम 10-15 गुना तक अधिक हो गए हैं।
दूसरी तरफ देश में सरकार ड्रग प्राइज कंट्रोल ऑर्डर लागू कर चुकी है, जिससे दवा कंपनियों को ये उत्पाद नियंत्रित कीमत पर बेचने हैं। इससे दवा निर्माताओं के सामने संकट आ गया है। हरियाणा फार्मास्युटिकल्स मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के वरिष्ठ राज्य उपप्रधान आरएल शर्मा बताते हैं कि चीन से रॉ मैटिरियल आना पूरी तरह बंद है। इसलिए देश में बचा स्टॉक कई गुना मंहगा मिल रहा है जबकि दवा उत्पादकों को सरकारी गाइडलाइंस के कारण कंट्रोल रेट पर ही दवा बेचनी पड़ रही हैं। लिहाजा, कंट्रोल रेट पर रॉ मैटिरियल उपलब्ध कराया जाए। इसके लिए केंद्र व राज्य सरकारों से अनुरोध किया गया है।