नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए कई फार्मा कंपनियों के पीएलआई योजना के तहत आवेदनों को मंजूरी दे दी है। अरबिंदो फार्मा, मेसर्स कर्नाटक एंटीबायोटिक्‍स एंड फार्मास्‍युटिकल्‍स लिमिटेड, मेसर्स किनवान प्राइवेट लिमिटेड जैसी प्रमुख कंपनियों को मंजूरी मिली है। अब ये कपंनियों भारत में ही कई गंभीर दवाओं के कच्चे माल को बनाएंगे। लिहाजा ज्यादा लोगों को नौकरियों के अवसर मिलेंगे।आपको बता दें कि भारतीय फार्मा उद्योग दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दवा उद्योग है। अमेरिका और यूरोपीय संघ के देशों में भारत बड़ा स्थान रखता है. भारत खासकर जेनरिक दवाओं के मामले में बेस्ट माना जाता है।

दरअसल फार्मा कंपनियां अब दवाओं के उत्‍पादन के लिए नए प्लांट को लगाने पर कुल 3761 करोड़ रुपये खर्च करेंगी। इससे करीब 3825 रोजगार अवसर पैदा होंगे। साथ ही, दवा पर कंपनियों की लागत कम होने से इनकी कीमत भी घट जाएगी। दरअसल इन प्लांट में व्‍यावसायिक उत्‍पादन 1 अप्रैल 2023 से शुरू होने की संभावना है। इसके लिए सरकार की ओर से उत्‍पादन आधारित प्रोत्‍साहन योजना के तहत अगले छह वर्षों के दौरान अधिकतम 3600 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। इन प्लांट की स्‍थापना हो जाने से बल्‍क ड्रग्‍स के उत्‍पादन के मामले में देश काफी हद तक आत्‍मनिर्भर बन जाएगा।

बता दें कि आवश्‍यक प्रमुख प्रारंभिक सामग्री (केएसएम)/ मध्‍य दवा सामग्री और सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए‘पीएलआई’योजना के तहत आवेदनों को मंजूरी दी गई। तो वहीं भारत कई दवाओं को बनाने के लिए अभी भी चीन पर निर्भर है। क्योंकि दवाओं को प्रोडक्शन के लिए चीन से एक्टिव फ़ार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट्स (API) आयात होता है। ये दवाइयां बनाने का कच्चा माल होता है। इसीलिए केंद्र सरकार ने पीएलआई स्कीम शुरू की है। आसान शब्दों में कहें तो घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और इंपोर्ट बिल को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने इसकी शुरुआत की है।

इसका उद्देश्य घरेलू प्लांट में बने प्रोडक्ट से बढ़ती बिक्री पर कंपनियों को राहत देना है यानी जितना प्रोडक्शन बढ़ेगा उतना कंपनियों को फायदा होगा। दरअसल इस योजना के तहत 30 नवंबर 2020 तक कुल 36 उत्‍पादों के लिए 215 आवेदन प्राप्‍त हुए हैं। दिशानिर्देशों के अनुसार आवेदनों पर 90 दिनों की अवधि के भीतर विचार कर 28 फरवरी 2021 तक इनपर फैसला लेना तय किया गया है। बता दें कि पहले चरण में ये कंपनियां पेनिसिलिन जी, 7-एसीए, एरिथ्रोमाइसिन थि‍योसाइनेट (टीआईओसी) और क्‍लाव्‍यूलैनिक एसिड को भारत में बनाएंगी। फिलहाल देश पूरी तरह से इनके आयात पर निर्भर है। इसलिए इनका चयन प्राथमिकता के आधार पर किया गया।

दरअसल देश में नई दवाओं की खोज और मार्केटिंग के लिए बजट में नए फंड का ऐलान किया जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार आने वाले दिनों में देश में दवाओं के कच्चे माल की मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने और विदेशों से इम्पोर्ट घटाने को लेकर नई रणनीति पर काम कर रही है। बजट में ऐसे नए प्रावधान किए जाएंगे कि भारतीय दवाओं का एक्सपोर्ट भी बढ़े। हालांकि यह योजना पांच वर्ष की अवधि के लिए स्वीकृत की गई है। इसमें रकम कंपनियों के सीधे अकाउंट में भेजी जाती है। अभी जिन सेक्टर्स को इसमें शामिल किया गया है।

ऑटोमोबाइल, नेटवर्किंग उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करण, फार्मा और सौर पीवी। दरअसल PLI योजना भारतीय मैन्युफैक्चरिंग का विस्तार करेगी। इससे नया इन्वेस्टमेंट भारत में आएगा. साथ ही, टेक्नोलॉजी बेहतर होगी। लिहाजा भारत की अर्थव्यवस्था में तेज ग्रोथ आएगी। बता दें कि औद्योगिक वस्तुओं के उत्पादन और निर्यात में वृद्धि से भारतीय उद्योग को विदेशी प्रतिस्पर्धा और विचारों को जानने का काफी अवसर मिलेगा, जिससे आगे कुछ नया करने की अपनी क्षमताओं में सुधार करने में मदद मिलेगी।