इंदौर। फार्मा ग्रेड का बताकर कच्चा माल बेचने वाले डीलरों से सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन (सीडीएसओ) के अधिकारी पूछताछ में जुटे है। सीडीएसओ के अधिकारियों के अनुसार खांसी की दवा (कफ सिरप) पर इंदौर में करीब 20 दवा कंपनियों में दिसंबर-जनवरी में जांच की थी। उन कंपनियों के बाद चेन तलाशते हुए करीब दस डीलरों तक भी जांच टीम पहुंची है। इनके यहां से दवा कंपनियों को कच्चा माल बीते वर्षों में सप्लाई हुआ था। संकेत मिले हैं कि कुछ डीलरों ने माल की गुणवत्ता में हेरफेर किया था।
भारतीय कफ सिरप से अफ्रीकी देशों में बच्चों की मौत का मामला
अफ्रीकी देशों में भारतीय कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामलों के बाद सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन (सीडीएसओ) ने दिसंबर में दिए थे। दवा में अमानक तत्वों का उपयोग किए जाने के आरोपों के बाद जांच हुई थी। दरअसल, ये तीनों तत्व अन्य उद्योगों में भी उपयोग होते हैं। ग्लिसरीन कास्मेटिक उद्योग से लेकर शराब उद्योग में उपयोग होता है। सारबिटाल मिठास के लिए कन्फेक्शनरी व अन्य खाद्य उद्योगों में इस्तेमाल होता है।
पुराने बिलों के आधार पर आपूर्ति के आंकड़ों का मिलान
दवा कंपनियों को माल सप्लाई करने वाले इंदौर के कुछ ट्रेडर्स ने बीते वर्षों में औद्योगिक कच्चे माले को दवा के ग्रेड का बताकर सप्लाई किया था। औषधि प्रशासन विभाग अब पुराने बिलों के आधार पर आपूर्ति के आंकड़ों का मिलान कर रहा है।
इस दौरान कुछ सबूत भी हाथ लगे हैं। पता चला है कि कच्चे माल के सप्लायरों ने खरीदा तो इंडस्ट्री ग्रेड का कच्चा माल था, लेकिन आपूर्ति आइपी-बीपी ग्रेड माल की बताई। यानी इन्होंने कागज पर कच्चे माल की ग्रेड बदल दी। सीडीएसओ ने बीते दिनों इंदौर की एक दवा कंपनी को बंद भी करवा दिया था। कच्चे माल की आपूर्ति में गड़बड़ी के तथ्य साबित होने के बाद अब कार्रवाई के दायरे में सप्लायर भी आ सकते हैं।
सप्लायरों ने ज्यादा मुनाफे के लिए ग्रेड में किया हेरफेर
सप्लायरों ने ज्यादा मुनाफे के लिए ग्रेड में हेरफेर किया। दरअसल, इंडस्ट्री ग्रेड का कच्चा माल सस्ता होता है, जबकि फार्मा ग्रेड का महंगा। कोविड के दौरान कच्चे माल के दाम ज्यादा उछले। इस दौरान कई सप्लायर्स ने इंडस्ट्री ग्रेड के माल को आइपी का लेबल लगाकर दवा कंपनियों को दे दिया। इसमें कुछ सप्लायर ऐसे हैं जिन्होंने कॉस्मेटिक निर्माण के काम आने वाला ग्लिसरीन ही कफ सिरप के लिए दिया। दवा कंपनियों ने भी इसी माल से दवा का निर्माण किया।