हरिद्वार। उत्तराखंड प्रदेश को फार्मा हब बनाया जाएगा। नए निवेश के चलते पहले से स्थापित उद्योग का विस्तारीकरण होगा। इससे फार्मा क्षेत्र में रोजगार भी बढ़ेगा। वैश्विक निवेशक सम्मेलन से फार्मा सेक्टर में 1500 से 2000 करोड़ रुपये का निवेश होगा।

इसके लिए कई कंपनियों ने निवेश में दिलचस्पी दिखाई है। बता दें कि वर्तमान में देश के कुल दवा उत्पादन में उत्तराखंड 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र सेलाकुई, हरिद्वार, पंतनगर, रुद्रपुर में 249 औषधि निर्माण इकाइयां स्थापित हैं। फार्मा सेक्टर की निर्यात में बड़ी भागीदारी है।

15 हजार करोड़ रुपये का किया कारोबार

ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट से प्रदेश सरकार फार्मा और ऑटो मोबाइल को भी प्रोत्साहन दे रही है। नई औद्योगिक नीति के कारण अनुकूल माहौल बना है। इसके चलते राज्य में फार्मा सेक्टर में निवेश बढ़ा है। प्रदेश में बीते साल फार्मा सेक्टर ने लगभग 15 हजार करोड़ रुपये का कारोबार किया। इसमें से 1150 करोड़ रुपये की दवाएं निर्यात की गईं। प्रदेश में फार्मा सेक्टर से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर हजारों लोग जुड़े हैं। इस सेक्टर में निवेश और रोजगार की काफी संभावनाएं हैं।

उत्तराखंड में बना सब जोन ऑफिस

निर्माता फर्मों के आवेदनों के निस्तारण के लिए केंद्रीय औषधि मानक संगठन का सब जोन ऑफिस उत्तराखंड में स्थापित किया है। फार्मा कंपनियों के लिए ऑनलाइन लाइसेंस प्रक्रिया होने से आवेदन की जटिलता भी मिट गई है। उच्च गुणवत्ता की दृष्टि से सभी अनुमतियां केंद्र व राज्य सरकार के संयुक्त निरीक्षण बाद ही जारी की जाती है।

ट्रांसपोर्ट पर सब्सिडी की सुविधा दे सरकार

उत्तराखंड ड्रग्स मेन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद कलानी ने कहा कि उत्तराखंड फार्मा विनिर्माण हब के रूप में बढ़ रहा है। निवेशक सम्मेलन से राज्य में 1500 से 2000 करोड़ रुपये के निवेश के लिए निवेशक तैयार हैं। फार्मा कंपनियों को दवाइयां बनाने के लिए कच्चा माल बाहर से मंगाना पड़ता है। इसमें ट्रांसपोर्ट की लागत बढ़ती है। यदि सरकार ट्रांसपोर्ट पर सब्सिडी की सुविधा दे तो उत्तराखंड पूरे देश में फार्मा क्षेत्र में पहले स्थान पर होगा।