देहरादून। होम्योपैथिक औषधियों के निर्माण और फार्मेसी स्टोर का लाइसेंस, पंजीकरण, नवीनीकरण आदि के अधिकार को लेकर दो विभागों के बीच तलवारें खिंच गई हैं। निदेशक होम्योपैथिक ने इस संबंध में स्वस्थ्य महानिदेशक को पत्र भेजा है। लाइसेंस आदि का कार्य एलोपैथिक विभाग द्वारा किए जाने को अनाधिकृत बताया है। उन्होंने कैबिनेट में लिए गए निर्णय व पूर्व में जारी शासनादेश का भी हवाला दिया है। जबकि औषधि विभाग का इस पर अलग तर्क है। निदेशक होम्योपैथिक डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा है कि एलोपैथिक से अलग करते हुए होम्योपैथिक विभाग का पृथक स्वरूप दिसंबर 2009 को जारी शासनादेश में किया गया था। इसमें होम्योपैथिक के संरचनात्मक ढांचे का भी गठन किया गया था। इसके उपरांत होम्योपैथिक पद्धति से संबंधित सभी अधिकार व क्रियाकलाप अथवा शक्तियां विभागाध्यक्ष यानी होम्योपैथिक निदेशक के पास हैं। लेकिन वर्तमान में होम्योपैथिक औषधियों के निर्माण, होम्योपैथी फार्मेसी स्टोर का लाइसेंस पंजीकरण व नवीनीकरण अनाधिकृत रूप से एलोपैथिक विभाग के पास है। जो कि कैबिनेट के निर्णयों का उल्लंघन के साथ ही होम्योपैथी विभाग के अधिकारों का अतिक्रमण है। उन्होंने पत्र में अनुरोध किया है कि स्वास्थ्य महानिदेशक अपने स्तर से सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों, औषधि नियंत्रक व औषधि निरीक्षकों को निर्देशित करें कि होम्योपैथिक से संबंधित सभी अधिकार व क्रियाकलाप अब निदेशक होम्योपैथिक के अधीन हैं। इन अधिकारों पर अतिक्रमण न किया जाए। निदेशक द्वारा पत्र में यह भी कहा गया है कि औषधि लाइसेंस से संबंधित समस्त अभिलेख व अब तक प्राप्त राजस्व उन्हें उपलब्ध करा दिया जाए। जबकि औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी का कहना है कि उक्त कार्य सेंट्रल एक्ट के तहत किया जा रहा है। बिना एक्ट में संशोधन इसमें बदलाव मुमकिन नहीं है।