नई दिल्ली: दिल का इलाज मतलब बाईपास या एंजियोप्लास्टी कराना फिर से महंगा हो सकता है। स्टेंट बनाने वाली कंपनियां सरकार और नेशनल फॉर्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) पर लगातार दबाव बना रही हैं कि वो स्टेंट पर लगाए गए प्राइस कैप को हटाएं, वरना अच्छी गुणवत्ता के महंगे स्टेंट की आपूर्ति रोक देंगे। अगले साल जनवरी-फरवरी के बीच इस पर फैसला लिया जाना है।

बता दें कि ज्यादातर स्टेंट यूएस से भारत में इंपोर्ट किए जाते हैं। इन स्टेंट में कंपनियों, एजेंट और अस्पताल तक का कमीशन पहले से तय होता है, जिसका प्राइस आम जनता को देना होता है। यूएस कंपनियां एबॉट और बोस्टन साइंटिफिक कॉर्पोरेशन लंबे समय से सरकार पर प्राइस पर से कैप हटाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। यूएस ट्रेड प्रतिनिधि की तरफ से सुरेश प्रभु को भी पत्र लिखा जा चुका है।

जानकारी के मुताबिक एनपीपीए ने जब से स्टेंट की कीमतों पर लगाम लगाई है, तब से तमाम अस्पतालों ने अन्य खर्चों में बढ़ोतरी कर दी है। इससे जैसा सोचा जा रहा था कि बाईपास कराना सस्ता हो जाएगा, वैसा कुछ नहीं हुआ। स्टेंट का प्रयोग बाईपास सर्जरी और एंजियोप्लास्टी दोनों में होता है। पहले एंजियोप्लास्टी की जाती है, अगर मरीज को इससे कोई लाभ न मिले तो फिर इसे बाईपास सर्जरी द्वारा ग्राफ्टिंग का इस्तेमाल करना पड़ता है। केंद्र सरकार की तरफ से स्टेंट बनाने वाली कंपनियों को आदेश दिया गया है कि वो फिलहाल स्टेंट की सप्लाई जारी रखे ताकि किसी प्रकार की कोई कमी न हो। एनपीपीए ने भी अब स्टेंट बनाने वाली कंपनियों से कीमतों पर उनके सुझाव मांगे हैं। एनपीपीए के चेयरमैन भूपेंद्र सिंह की तरफ से जारी आदेश अनुसार सभी देशी स्टेंट निर्माता और इंपोर्ट करने वाली कंपनियों से 31 दिसंबर तक सुझाव मांगे गए हैं। इस आदेश को एनपीपीए ने अपनी वेबसाइट पर भी डाला गया है।