अयोध्या। देश भर ने कोरोना ने मरने वालों के साथ-साथ संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। एक तरफ दवा से लेकर ऑक्सीजन, अस्पतालों में बेड की कमी है। तो वहीं दूसरी तरफ एलोपैथ के बाद होम्योपैथिक दवाओं का संकट मंडराने लगा है। भयावह हो चली कोरोना महामारी के इस दौर में तमाम संकटों के बीच सबसे बड़ा संकट जीवन रक्षक दवाओं का है। दवा बाजार में कई जरूरत की दवाएं उपलब्ध न होने से मरीज ही नहीं तीमारदार भी परेशान भटक रहे हैं।

इसी बीच कोरोना से लड़ाई में मददगार मानी जाने वाली कई होम्योपैथिक दवाएं भी मार्केट से गायब हैं। दवा के कारोबार से जुड़े व्यापारी बताते हैं कि कुछ दवाओं कि डिमांड इतनी ज्यादा है कि वह जिले तक पहुंच ही नहीं पा रही हैं। हर किसी को जर्मन की दवा चाहिए, वह भी पैक्ड। दवा व्यवसायी बताते हैं कि विभिन्न कंपनियों की दवाएं मौजूद हैं, लेकिन अधिकांश लोग जर्मन की होम्योपैथिक दवाओं की डिमांड करते हैं। कोरोना से लड़ाई में मददगार बताई जा रही कुछ प्रमुख दवाएं जैसे आर्सेनिक, ब्राउनियां, काब्रोवेज, एस्पिडोस्परमा, वेनैडियम सहित कुछ अन्य दवाएं बाजार में लंबी तलाश के बाद ही शायद कहीं मिल सकें।

यह दवाएं लक्षण के आधार पर अलग अलग पोटेंसी की मरीजों को दी जाती है। वही एलोपैथिक दवाओं की आपूर्ति सुचारु होने के बाद भी सभी मेडिकल स्टोरों पर कोरोना से जुड़ी दवाओं की उपलब्धता का अभाव है। यहीं हाल मेडिकल उपकरणों का भी है। बाजार में पल्स ऑक्सीमीटर, एन-95 मास्क सहित कई अन्य महत्वपूर्ण उपकरण गायब हैं। अगर मिल भी रहा हैं तो महंगे दामों पर। पल्स ऑक्सीमीटर की बात की जाए तो कहीं एक हजार, कहीं 1200 तो कहीं 1400 से 1600 रुपये तक इसकी बिक्री की जा रही है। वहीं ऑनलाइन बाजार में इसके दाम और अधिक बताए जाते हैं।