पटना। कोरोना की दूसरी लहर के बीच ब्लैक फंगस ने देश के अलग -अलग राज्यों में कोहराम मचा रखा है। बताना लाजमी है कि कोरोना महामारी की तरफ अब इस बीमारी को भी महामारी घोषित किया जा रहा है। गौरतब है कि ब्लैक फंगस पटना सहित पूरे बिहार में भी पांव पसार रहा है। इधर, मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही ब्लैक फंगस के इलाज में दी जाने वाली दवाओं की कालाबाजारी भी शुरू हो गयी है। शहर के गोविंद मित्रा रोड दवा मंडी के अलावा अन्य मेडिकल स्टोरों से ब्लैक फंगस की दवाएं नदारद हैं। परेशान मरीज और परिजन महंगी दवा खरीदने को विवश हैं।

पटना में ब्लैक फंगस के 55 से अधिक मरीजों का इलाज चल रहा है। इनमें से 13 मरीज आइजीआइएमएस और 10 एम्स में भर्ती हैं। शनिवार की देर शाम ब्लैक फंगस से मुजफ्फरपुर के सादपुरा निवासी उर्दू के प्रसिद्ध साहित्यकार अब्दुस सत्तार की आइजीआइएमएस में मौत हो गयी।

डॉक्टरों के अनुसार, म्यूकरमाइकोसिस के लिए पोसाकोनाजोल और एम्फोटेरिसिन डीऑक्सीचीलेट दवा का भी इस्तेमाल होता है। लेकिन एम्फोटेरिसिन डीऑक्सीचीलेट से साइड इफेक्ट ज्यादा होता है। मांग बढ़ते ही यह भी गायब हो गयी है।

जीएम रोड समेत अन्य दवा दुकानों पर अम्फोटेरीसीन बी नामक इंजेक्शन गायब हो चुका है। दो से तीन हजार रुपये के एक इंजेक्शन की कीमत कालाबाजारी में 10 से 11 हजार रुपये तक ली जा रही है। पहले रेमडेसिविर और ऑक्सीजन की कालाबाजारी के बाद अब अम्फोटेरीसीन बी इंजेक्शन के लिए काफी परेशानी हो रही है।

दरअसल डॉक्टरों के अनुसार ब्लैक फंगस से ग्रस्त मरीज की हालत तेजी से बिगड़ने लगती है। जल्द उपचार न मिले, तो आंखों की रोशनी या फिर मस्तिष्क तक संक्रमण के पहुंचने का खतरा रहता है। ऐसे में एक मरीज को 20 से 40 या किसी किसी मरीज में जिसकी हालत अधिक खराब है, उसे 50 तक इंजेक्शन की खुराक दी जाती है।

ड्रग कंट्रोलर रवींद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि कोई शिकायत नहीं मिली
बिहार के विभिन्न अस्पतालों में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग ने छह हजार वॉयल इंजेक्शन उपलब्ध कराये हैं। अभी तक कालाबाजारी की कोई शिकायत नहीं मिली है। इसे रोकने के लिए जीएम रोड समेत चिह्नित दवा दुकानों पर ड्रग इंस्पेक्टरों की टीम तैनात कर दी गयी है।