पटना: बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऑनलाइन ड्रग लाइसेंस प्रक्रिया एवं फार्मासिस्टों के वेतन का भुगतान खाते से करने को लेकर जो आदेश जारी किया है उससे बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रसन कुमार का कहना है बिहार में फार्मासिस्टों की कमी है और भारत सरकार ने भी आजादी के बाद सन 1965 में सभी राज्यों में फार्मेसी कॉलेज की संख्या बढ़ाई है जबकि केंद्र सरकार बिहार में कोई फार्मेसी कॉलेज नहीं खोल सकी। इस कारण यहां मात्र दो ही फार्मेसी कॉलेज हैं। उन्होंने कहा कि दवा दुकानों पर फार्मासिस्ट की अनिवार्यता में संशोधन की आवश्यकता है और सरकार को दवा व्यवसाई के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए।
बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने कल यानी 6 अप्रैल से दवा बिक्री के समय दुकानों पर काला बिल्ला लगाकर दवा बेचने का निर्णय लिया है और सरकार से अपील की है कि जब तक उन्हें कोई आश्वासन नहीं मिलता, वह 12 अप्रैल को राज्यव्यापी हड़ताल पर जाएंगे। पटना केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अर्जुन कुमार एवं सचिव संतोष कुमार ने बताया कि यह कानून 1940-45 का बना हुआ है जिस समय देश आजाद भी नहीं हुआ था। अत: ब्रिटिश सरकार का यह कानून बदलने की जरूरत है। फार्मासिस्ट दवा दुकानों पर अपनी अनिवार्यता एवं नियमित नियुक्तिके लिए अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। धरना पर बैठे औरंगाबाद के बिहार स्टेट फार्मासिस्ट एसोसिएशन के सचिव प्रदीप कुमार पासवान ने बताया कि दवा दुकानों पर फार्मासिस्ट नहीं होने के कारण शराबबंदी का भी कोई असर नहीं हो रहा है। मरीजों को उचित दवाइयां नहीं मिलरही हैं तथा फर्जी दवाइयां और दवा की कालाबाजारी का भी बाजार पनप रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य में 15 सालों से फार्मासिस्ट की स्थाई नियुक्तियां नहीं आई हैं। जिस कारण से छात्र फार्मेसी में नामांकन लेना नहीं चाहते। बिहार स्टेट फार्मासिस्ट एसोसिएशन के सीतेश कुमार, राजनाथ कुमार, आलोक कुमार, सलमान खान, राजेश रंजन, जितेंद्र कुमार और अजसराज आदि ने बताया कि दुनिया के तमाम देशों में फार्मासिस्टों की अनिवार्यता सुनिश्चित है। देशभर के फार्मासिस्ट ने उनके संघर्ष को समर्थन दिया है। 12 अप्रैल को फार्मा एक्टिविस्ट विनय कुमार भारती दिल्ली से पटना आ रहे हैं। सिंहभूमि फार्मासिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह भी झारखंड से पटना आएंगे। इंडियन फार्मेसी ग्रेजुएट एसोसिएशन के विनोद कुमार एवं श्रीपति सिंह ने भी समर्थन किया है।