हैदराबाद। बोरोप्लस क्रीम और च्यवनप्राश समेत 5 आयुर्वेदिक उत्पाद औषधि के दायरे में आ गए हैं। इस संबंध में तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 25 साल पुराने कर विवाद में फैसला सुनाया है।

कोर्ट के अनुसार हिमामी और इमामी कंपनियों द्वारा उत्पादित और बिक्री किए जाने वाले पांच आयुर्वेदिक उत्पाद – नवरत्न तेल , गोल्ड हल्दी क्रीम, बोरोप्लस एंटीसेप्टिक क्रीम, बोरोप्लस प्रिकली हीट पाउडर और सोना चांदी च्यवनप्राश – सौंदर्य प्रसाधनों के बजाय अब औषधियों की श्रेणी में आएंगे।

दोनों कंपनियों को अतिरिक्त कर से मिलेगी छूट

हाईकोर्ट के इस फैसले से इन दोनों सहयोगी कम्पनियों को कुछ अतिरिक्त कर बोझ से छुट मिलेगी। दरअसल, कॉस्मेटिक उत्पाद के रूप में 20 प्रतिशत जीएसटी लगेगा और यदि इसे उपचारात्मक गुणों वाली दवा के रूप में मान्यता मिलती है तो यह 10 फीसदी होगा। यह सब कर निर्धारण वर्ष 1996-97 से शुरू हुआ। राज्य ने उन्हें सौंदर्य प्रसाधन के रूप में मानना शुरू किया और उन पर 20 फीसदी बिक्री कर लगाया।

न्यायमूर्ति पी सैम कोशी और न्यायमूर्ति एन तुकारामजी की खंडपीठ ने दोनों पक्षों को सुना और कहा कि पांचों उत्पाद दवाओं की श्रेणी में आते हैं। यह विवाद निरोग दंत पाउडर लाल सहित छह उत्पादों के इर्द-गिर्द घूमता है। इनका निर्माण और बिक्री दोनों सहयोगी कम्पनियों द्वारा की जा रही है।

कर अधिकारियों ने उन्हें सौंदर्य प्रसाधन के रूप में वर्गीकृत किया और उन पर 20 प्रतिशत कर लगाना शुरू कर दिया। दंत पाउडर के संबंध में बिक्री कर अपीलीय न्यायाधिकरण द्वारा कॉस्मेटिक उत्पाद मानने के निर्णय को कम्पनियों द्वारा भी स्वीकार किया गया।