जयपुर। सरकारी पर्ची पर जेनेरिक के बजाय ब्रांडेड दवा लिखने वाले डॉक्टरों पर सवाईमानसिंह अस्पताल प्रशासन ने सख्ती दिखाना शुरू कर दिया है। अस्पताल प्रशासन ने अस्पताल के सभी डॉक्टरों को लिखित आदेश जारी कर कहा है कि अस्पताल में आने वाले ओपीडी एवं आईपीडी मरीजों को पूर्व में राज्य सरकार, मेडिकल कॉलेज और अस्पताल प्रशासन की ओर से जारी आदेशों की पालना ही करेंगे। यानि, निशुल्क दवा में उपलब्ध जेनेरिक दवा ही वे मरीजों को परामर्श पर्ची पर लिखेंगे।
चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कहा है कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में जब निशुल्क दवा योजना संचालित है और उसके बाद भी कुछ डॉक्टर ब्रांडेड दवाइयों सरकारी पर्ची पर लिख रहे हैं तो यह गंभीर है। उन्होंने बुधवार को कहा कि ऐसे मामलों की पूरी जांच कर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका में सरकारी चिकित्सक जेनेरिक दवाओं को दिखा रहे ठेंगा शीर्षक से समाचार प्रकाशित होने के बाद एसएमएस अस्पताल प्रशासन ने भी सख्ती दिखाना शुरू कर दिया है।
इधर, एसएमएस मेडिकल कॉलेज से संबंदृध अस्पतालों के चिकित्सकों के अनुसार इस समय कई ऐसी दवाइयां प्रचलित हैं, जिनकी उपयोगिता और मरीजों पर प्रभाव अधिक है, लेकिन वे निशुल्क दवा योजना में शामिल नहीं है। ऐसे में उपचार की सफलता दर बढ़ाने के लिए उन दवाओं को भी योजना में शामिल करवाया जाना आवश्यक है। गौरतलब है कि कुछ समय पहले कैंसर और अस्थमा सहित कुछ अन्य विशेषज्ञताओं की दवाइयां राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन आरएमएससीएल ने योजना में शामिल की थी।
अस्पताल अधीक्षक की ओर से जारी आदेशों में सभी विभागों के प्रोफेसरों व विभागाध्यक्षों को कहा गया है कि वे उक्त आदेशों की सख्ती से पालना सुनिश्चित करेंगे। आदेश में यह भी कहा गया है कि उक्त वरिष्ठ डॉक्टर समय—समय पर अपने विभाग में परामर्श की जा रही दवाओं का आंतरिक अंकेक्षण भी करेंगे। इस अंकेक्षण में यदि कोई डॉक्टर जेनेरिक के बजाय ब्रांडेड दवा लिखता हुआ पाया जाता है तो उसकी सूचना अस्पताल अधीक्षक को देंगे, जिससे की ऐसे डॉक्टरों पर कार्यवाही की जा सके।