चंडीगढ़: डेंगू के मरीजों को ब्लैक में ब्लड बेचने का मामला प्रकाश में आया है। शहर के कई निजी अस्पताल नैशनल ब्लड ट्रांस यूजन कौंसिल की गाइडलाइंस की अनदेखी करते हुए प्लेटलेट एफ्रेसिस की दोगुनी कीमत वसूल रहे हैं। उधर, सरकारी अस्पतालों में महंगी एफ्रेसिस किट्स मरीजों की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं। एक किट की कीमत 8500 से लेकर 12 हजार रुपए है। किसी मरीज को अगर प्लेटलेट एक यूनिट चढ़ा तो किट के दाम मरीज व डोनर ब्लड स्क्रीनिंग के दाम से जुड़ जाएंगे। अगर यूनिट दो से तीन चढऩी है तो मरीजों को तीन-तीन किट्स खरीदनी पड़ रही हैं। ज्ञातव्य है कि कौंसिल के नियमानुसार एफ्रेसिस की फीस 11 हजार रुपए से ज्यादा नहीं ली जा सकती। इसी फीस में डोनर ब्लड स्क्रीनिंग भी शामिल है। हालांकि प्राइवेट हॉस्पिटल एफ्रेसिस के लिए 15 हजार से 20 हजार रुपए तक वसूल रहे हैं। डोनर ब्लड स्क्रीनिंग के लिए अतिरिक्त दो हजार से लेकर 6300 रुपए तक वसूले जा रहे हैं।

मरीजों के बिल देखने पर पता चला कि वह मरीज जिन्हें डोनर की मदद के बिना प्लेटलेट्स चढ़ाई जाती हैं, उसके सरकारी अस्पताल में उतने ही दाम वसूले जा रहे हैं। 15 हजार से अधिक प्लेटलेट वाले सरकारी अस्पताल के मरीज से प्रति यूनिट प्लेटलेट के सिर्फ 300 रुपए ही लिए जा रहे हैं। 15 हजार से कम प्लेटलेट्स वाले को महंगी किट खरीदनी पड़ रही है। नैशनल वैक्टर बोर्न डिसीज कंट्रोल विभाग के अनुसार चंडीगढ़ में इस सीजन में डेंगू के 701 मरीज सामने आ चुके हैं। उधर, जीएमसीएच-32 में ब्लड ट्रांस यून डिपार्टमेंंट की इंचार्ज डॉ. रवनीत कौर ने बताया कि में डेंगू मरीजों को दो किस्म का इलाज दिया जा रहा है। जिस मरीज के प्लेटलेट ज्यादा कम नहीं हैं उसे 300 रुपए प्रति यूनिट प्लेटलेट दी जा रही है जबकि उस मरीज को जिसकी प्लेटलेट सं या 28000 से कम है, उसे किट्स की मदद से प्लेटलेट दी जा रही है।