वाराणसी। पूर्वांचल के एम्स कहे जाने वाले बीएचयू में प्रशासनिक लापरवाही और उदासीनता का एक चौंका देने वाला मामला सामने आया है। यहां मरीजों की सुविधा के लिए अटल सेवा के तहत ई-रिक्शा का इंतज़ाम किया गया था लेकिन वो भी बदस्तूर जारी भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही की भेंट चढ़ गया। बीएचयू अस्पताल में आने वाले मरीजों को सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। मरीजों की सुविधा के लिए अटल सेवा के अन्तर्गत नि:शुल्क ई रिक्शा संचालन की शुरुआत हुई, लेकिन अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का ही परिणाम है कि रिक्शों की बैटरी डिस्चार्ज हो गई है और सीटों को चूहे कतर रहे हैं। बीएचयू अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए पूर्व एमएस प्रो. वीएन मिश्रा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में अटल सेवा की शुरुआत की थी। मरीजों को मेन गेट से इमरजेंसी वार्ड, ओपीडी तक ले आना ही सेवा का उद्देश्य था। इसके लिए आठ ई रिक्शा आए थे। कुछ दिनों तक तो यह व्यवस्था बहुत अच्छी चली, लेकिन पूर्व एमएस के हटने के बाद इसका रख रखाव नहीं हो पाया। हालत यह है कि इमरजेंसी वार्ड के बगल में रखे रिक्शे खराब हो रहे हैं। सीटों को चूहे कतर रहे हैं, इससे ये चलने लायक भी नहीं है।
बीएचयू अस्पताल के पूर्व एमएस प्रो. वीएन मिश्रा की पहल पर जनप्रतिनिधियों ने भी मरीजों की सेवा के उद्देश्य से ई- रिक्शा दान में दिए थे। इसमें राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल ने एक, बलिया से पूर्व सांसद भरत सिंह ने दो, व्यापारियों ने तीन और काशी घाटवाक विश्वविद्यालय की ओर से दो रिक्शे दिए थे। मरीजों को बेहतर सुविधा मुहैया कराने का दावा करने वाले बीएचयू अस्पताल प्रशासन अगर सजग रहता तो शायद ई-रिक्शा की दशा यह नहीं होती और मरीजों को सेवाओं का लाभ मिलता। बीएचयू अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का आलम है कि दान में मिले रिक्शो का रखरखाव भी नहीं हो पा रहा है। बीएचयू अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक एसके माथुर का कहना है कि अस्पताल में नि:शुल्क अटल सेवा के तहत ई रिक्शों का संचालन नियमित हो रहा है। इमरजेंसी वार्ड के बगल में ही रखने की व्यवस्था है। कुछ ई रिक्शा जो नही चल रहे हैं उनकी बैट्री डिस्चार्ज है। इसे भी जल्द सही कराया जाएगा। कोरोना काल में भी मरीजों की सेवा करने के साथ ही रिक्शों पर दवा आदि सामान भी पहुंचाए गए हैं।