मुंबई। भारतीय दवा कंपनियों को अमेरिकी खाद्य एवं दवा प्रशासन (यूएसएफडीए) से नई दवाओं के लिए मंजूरी में 50 फीसदी भागीदारी मिल सकती है। ऐसा विश्लेषकों का मानना है। आशिका रिसर्च के विश्लेषण में बताया गया है कि यूएसएफडीए से वैश्विक तौर पर करीब 762-782 एब्रिविएटेड न्यू ड्रग अप्रूवल (एएनडीए) की उम्मीद है।
कंपनियों ने विविधता पर बढ़ाया ध्यान
अगर भारतीय फर्मों को 50 प्रतिशत मंजूरियां मिलती हैं तो 2023 में एएनडीए स्वीकृति संख्या 365-375 होने का अनुमान रहेगा। यह बीते वर्ष के करीब 355 के आंकड़े से थोड़ा ज्यादा है। इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च (इंड-रा) में सहायक निदेशक कृष्णनाथ मुंडे ने कहा कि यूएसएफडीए की शर्तें पूरी करने के लिए कंपनियों ने विविधता पर ध्यान बढ़ाया है। वहीं, वैश्विक नियामकीय परामर्शदाओं, प्रशिक्षण में सुधार और स्वचालन की मदद से अपनी प्रक्रियाएं मजबूत की हंै।
वर्तमान में यूएसएफडीए की जांच महामारी-पूर्व स्तरों पर पहुंचनी बाकी है। संभावना है कि 2023-24 के बाकि बचे समय और आगामी वित वर्ष में यूएसएफडीए द्वारा जांच में तेजी लाई जाएगी। हालांकि, इससे कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा। एजेंसी का मानना है कि यदि यूएसएफडीए जांच विफल रहती है तो अमेरिकी बाजारों से ज्यादा कारोबार करने वाली और कम विविधता से जुड़ी कंपनियों पर कुछ प्रभाव पड़ेगा।
यूएसएफडीए की जांच दर में आई कमी
एक रिपोर्ट के अनुसार, यूएसएफडीए द्वारा हर साल कराई जाने वाली 2,600 के औसत से घटकर करीब 1,100 रह गई। यह वैश्विक जांच 2012-13 से 2018-19 के दौरान यानि पिछले चार साल में आंकी जा रही है। अता दें कि यूएसएफडीए अक्टूबर-सितंबर कैलेंडर वर्ष पर अमल करता है।
एमओएफएसएल के विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय दवा संयंत्रों में निगरानी की संख्या बढक़र 334 पर पहुंच गई है। यह 2012-13 वर्ष में 112 थी। कोविड की अवधि के दौरान (2020-21) ऐसी जांच की संख्या घटकर 8 रह गई। इसके बाद, भारतीय दवा संयंत्रों पर जांच की संख्या में तेजी आई। सितंबर 2023 में समाप्त 12 महीनों के दौरान यह संख्या बढक़र 139 पर पहुंचने का अनुमान है।
जीडीयूएफए के कारण मंजुरियों में आई तेजी
टैबलेट, कैप्सूल और इंजेक्टीबल की ऊंची मंजूरी दर है, जबकि वर्ष के दौरान पाउडर और जेल श्रेणियां मंजूरियों में गिरावट दर्ज करेंगी। लोगों के लिए सुरक्षित और प्रभावी जेनेरिक दवाओं तक पहुंच मजबूत बनाने तथा उद्योग की लागत घटाने के लिए तैयार कानून जेनेरिक ड्रग यूजर फ्री ऐक्ट (जीडीयूएफए) की वजह से यूएसएफडीए से मंजूरियों में तेजी आई है।
आवेदनों की संख्या में घटी
मंजूरी में लगने वाले समय में कमी लाने और लंबित एएनडीए को निपटाने में मदद मिली है। विश्लेषकों मानते हंै कि भारतीय कंपनियों द्वारा आवेदनों की कुल दर घटी है। आवेदनों की संख्या 2016-17 में 295 थी। यह संख्या 2022-23 में घटकर 183 रह गई है।