मुंबई। डायबिटीज की दवा बनाने वाली जर्मनी की प्रमुख फार्मा कंपनी बेरिंगर इंगलहाइम ने भारत में पिछले तीन साल के दौरान 43.7 फीसदी वार्षिक चक्रवृद्धि दर के साथ विकास की राह पकड़ी है। 2016 में 15वें पायदान पर रही यह कंपनी बाजार में नई दवाओं को उतारने और मार्केटिंग करार के चलते 8वें पायदान पर आ गई। डायबिटीज दवा बाजार की अन्य प्रमुख कंपनियों में बेरिंगर की वृद्धि सबसे तेज रही। इस दवा श्रेणी में 3.56 अरब रुपये के कुल कारोबार के साथ कंपनी 111.8 अरब रुपये के भारतीय बाजार में 3.18 फीसदी बाजार हिस्सेदारी हासिल कर चुकी है।
 बेरिंगर इंगलहाइम इंडिया के प्रबंध निदेशक शरद त्यागी ने कहा कि कंपनी भारत में अपने नवाचार आधारित अनुसंधान मॉलिक्युल्स लाने के लिए एक खास रणनीति पर ध्यान केंद्रित कर रही है। वहीं, इसने 2015 में बाजार में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए घरेलू औषधि कंपनी ल्यूपिन के साथ मिलकर मार्केटिंग करार किया था। इस करार सेे भी कंपनी की मौजूदगी बढ़ाने और एक बड़े लक्षित ग्राहक वर्ग तक पहुंचने में उल्लेखनीय सफलता मिली। अब कंपनी ने घोषणा की है कि वह ल्यूपिन के साथ अपनी साझेदारी को और विस्तार देगी ताकि खाने वाली दो मधुमेहरोधी दवाओं (गिब्टुलियो मेट और अजैडुओ) को बाजार में उतारा जा सके। मधुमेह श्रेणी में बेरिंगर मुख्य तौर पर ग्लिप्टिन पर ध्यान केंद्रित करती है जो अपेक्षाकृत नई दवा श्रेणी है। टाइप-2 मधुमेह के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं की श्रेणी 40 फीसदी की दर से बढ़ रही है लेकिन यह सबसे अधिक प्रतिस्पर्धा वाला बाजार भी है। भारत में करीब 110 अरब रुपये के मधुमेह बाजार में 160 से अधिक ब्रांड मौजूद हैं। इसके मुकाबले कुल मधुमेह श्रेणी में पिछले तीन साल के दौरान करीब 15 फीसदी सीएजीआर की वृद्धि दर्ज की गई।
 भारत में ग्लिप्टिन का बाजार सह-विपणन करारों के जरिये बढ़ रहा है। चार प्रमुख ग्लिप्टिन (सिटाग्लिपटिन, लिना ग्लिपटिन, विडाग्लिपटिन और सेक्साग्लिपटिन) के लिए फिलहाल करीब 20 दवा विनिर्माताओं को लाइसेंस मिला है जो विभिन्न ब्रांड के तहत उनकी मार्केटिंग करती हैं। बेरिंगर मुख्य तौर पर नए ग्लिप्टिन मॉलिक्युल- लिनाग्लिप्टिन पर ध्यान केंद्रित कर रही है जिसके लिए उसने 2015 में ल्यूपिन के साथ करार किया था। लिनाग्लिप्टिन ने पांच साल के दौरान 20 फीसदी से अधिक सीएजीआर दर्ज की है। बेरिंगर ने 2014 में ट्राजेंट्रा डुओ (लिनाग्लिप्टिन और मेटफॉर्मिन की तक खुराक) को बाजार में उतारा था। अगले साल उसने लिनाग्लिप्टिन के अपने दूसरे ब्रांड (ऑनडेरो और ऑनडेरो मेट ब्रांड नाम के तहत) को बाजार में उतारने के लिए ल्यूपिन के साथ करार किया था। जर्मनी की यह प्रमुख औषधि कंपनी 2016 में इलाइ लिली के साथ संयुक्त रूप से विकसित अपने नोवल मॉलिक्युल एम्पाग्लिफोजिन को लेकर आई थी। जरडियांस भारत में बेरिंगर का सबसे बड़ा ब्रांड है जिसे करीब 45 रुपये प्रति दिन की खुराक की प्रतिस्पर्धी कीमत पर उतारा गया था। इस साल कंपनी ने एम्पाग्लिफोजिन के दो कंबिनेशन दवा को बाजार में उतारा है, जिसमें एक मेटफॉर्मिन के साथ है जबकि दूसरी लिनाग्लिप्टिन के साथ।