गोरखपुर। गोरखपुर शहर के युवा वैज्ञानिक डॉ. राजकिशोर निषाद लकवे की दवा की खोज अमेरिका की राइस यूनिवर्सिटी की लैब में करेंगे। उनके शोधपत्र के आधार पर राइस यूनिवर्सिटी, अमेरिका ने उन्हें अपनी लैब में शोध करने के लिए तीन साल की फेलोशिप दी है। इस दौरान उन्हें प्रतिमाह तीन लाख रुपये भी मिलेंगे। डॉ. राजकिशोर 31 जुलाई को अमेरिका पहुंचकर अपना काम भी शुरू कर चुके हैं।

झरवां, बड़गों निवासी किसान रुद्रनाथ निषाद के बड़े बेटे डॉ. राजकिशोर निषाद को लकवे की दवा की खोज की प्रेरणा उनके गांव व आसपास के इलाकों से मिली। उनके कई जानने वाले भी इस बीमारी के शिकार थे और उनकी जान चली गई। डॉ. राजकिशोर ने कक्षा 12 वीं तक की पढ़ाई राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज से और बैचलर ऑफ साइंस (बीएससी) सेंट एंड्रयूज कॉलेज से की।

बाद में मास्टर ऑफ साइंस (एमएससी) और डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) करने के लिए वे हैदराबाद यूनिवर्सिटी, तेलंगाना चले गए। मधुमेह गुर्दे को कैसे प्रभावित करता है, उन्होंने इस विषय पर शोध किया। फरवरी 2021 में पीएचडी पूरी कर ली। उनके 10 से अधिक शोधपत्र अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं नेचर, जर्नल ऑफ बायोकैमिस्ट्री, फ्रंटियर्स इन मेडिसिन में प्रकाशित हो चुके हैं।