नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ जारी जंग में देश को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ‘कोविशील्ड’ और भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सिन’ के रूप में दो वैक्सीनें मिल चुकी हैं। बताया जा रहा है कि भारत में चार और ऐसी वैक्सीन है जिन पर सबकी निगाहें टिकी हुई है। गौरतलब है कि ‘कोविशील्ड’ और ‘कोवैक्सिन’ इनको लेकर आगामी 16 जनवरी से पूरे देश में वैक्सीनेशन अभियान शुरू होने वाला है। इसके बाद अब भारत ने चार अन्य वैक्सीनों पर अपनी नजरें गढ़ा दी हैं। बता दें कि भारत के लिए अगली सबसे महत्वपूर्ण वैक्सीन है अहमदाबाद स्थित फार्मा कंपनी जाइडस कैडिला द्वारा तैयार की गई ZYCoV-D वैक्सीन।

कंपनी ने गत दिसंबर में अपने दूसरे चरण का क्लिनकल ट्रायल पूरा कर लिया है और नियामक संस्था ने उसे तीसरे चरण के क्लिनकल ट्रायल की मंजूरी प्रदान कर दी है। दूसरे चरण के ट्रायल में वैक्सीन मजबूत इम्युन रिस्पॉन्स पैदा करने में सफल रही है। ऐसे में तीसरे चरण में इसके सफल होने के बाद मंजूरी मिल सकती है। साथ ही भारत सरकार दूसरी महत्वपूर्ण वैक्सीन के रूप में रूस द्वारा तैयार स्पुतनिक-V की निगरानी कर रही है। मॉस्को के गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार इस वैक्सीन के भारत में ट्रायल और उत्पादन की जिम्मेदारी हैदराबाद की डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीज को मिली है।

कंपनी ने इसका दूसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल पूरा कर लिया है और तीसरे ट्रायल के लिए DCGI से अनुमति मांगी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के परीक्षणों में यह वैक्सीन 92 प्रतिशत प्रभावी मिली है। स्पुतनिक-V का दूसरे चरण का ट्रायल बेहतर तरीके से पूरा हो गया है। इसमें किसी भी प्रकार की सुरक्षा चिंताएं सामने नहीं आई है। कंपनी ने दूसरे चरण के ट्रायल के सुरक्षा डाटा को मंजूरी के लिए DCGI के समक्ष प्रस्तुत भी कर दिया है। भारत के लिए हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल ई लिमिटेड द्वारा MIT अमेरिका के सहयोग से तैयार की जा रही कोरोना वैक्सीन तीसरी सबसे महत्वपूर्ण वैक्सीन होगी।

मालूम हो कि गत दिसंबर में कंपनी ने इसका पहले चरण का क्लिनिकल ट्रायल शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं इसे दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के लिए भी अनुमति मिल गई है और आगामी 2 मार्च से उसकी शुरुआत होगी। पहले चरण के ट्रायल में वैक्सीन ने प्रभावी परिणाम दिए हैं। भारत के लिए पुणे स्थित गेनोवा बायो फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा तैयार की जा रही RnA आधारित कोरोना वैक्सीन चौथी प्रमुख वैक्सीन होगी। कंपनी इसे एक अमेरिकी कंपनी के सहयोग से तैयार कर रही है। वैक्सीन का वर्तमान में पहले चरण का क्लिनिकल ट्रायल आयोजित किया जा रहा है। इसके जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद मार्च में इस वैक्सीन के दूसरे चरण का क्लिनकल ट्रायल शुरू होने की उम्मीद है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर द्वारा तैयार कोरोना वैक्सीन की दो खुराकों की कीमत करीब 2,800 रुपये हैं। इसी तरह मॉडर्ना की वैक्सीन की दोनों खुराकों की कीमत 2,300-2,800 रुपये, चीन की सिनोफार्मा द्वारा तैयार वैक्सीन की कीमत 5,600 रुपये प्रति खुराक, सिनोवेक बायोटेक की वैक्सीन की कीमत 1,200 रुपये प्रति खुराक और रूस की स्पुतनिक-V वैक्सीन की कीमत 734 रुपये प्रति खुराक होगी। बता दें कि ये सभी वैक्सीन अभी भारत नहीं आई हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा विकसित कोरोना वैक्सीन की एक खुराक की कीमत 734 रुपये और नोवावैक्स द्वारा तैयार वैक्सीन की कीमत 1,114 रुपये प्रति खुराक होगी। स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा तैयार ‘कोविशील्ड’ को सरकार 200 रुपये प्रति खुराक और भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सिन’ को 206 रुपये प्रति खुराक के हिसाब से खरीदा जा रहा है। ये अब तक की सबसे सस्ती वैक्सीनें हैं।