रोहतक : हार्ट अटैक की तरह बे्रन अटैक भी घातक होता है। जागरुकता के अभाव में बे्रेन स्ट्रोक के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है। यह बात मैक्स सुपर स्पेशलिएटी हास्पिटल शालीमार बाग के न्यूरोलोजी विभाग के निर्देशक डॉ. अमिताभ वर्मा ने पत्रकारों से रूबरू होते हुए कही। उन्होंने कहा कि हर साल बे्रन स्ट्रोक के लगभग 15 लाख नए मामले दर्ज किए जाते है। उन्होंने कहा कि बे्रन स्ट्रोक के लक्ष्णों को पहचानकर तत्काल चिकित्सीय परामर्श लेना जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक रक्तवाहिकाओं में थक्केबनने या रक्तवाहिकाओं के फटने के कारण होता है। जिसके कारण मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाती है।

डॉ. वर्मा के मुताबिक, किसी व्यक्तिके चेहरे, हाथ, आवाज और समय मे परिवर्तन होना इसके प्रमुख लक्ष्ण है। उन्होंने कहा कि चेहरे का असामान्य होना, हाथ का नीचे लटकना और अस्पष्ट आवाज स्ट्रोक का कारण माना जाता है। समय पर उपचार होंने से इन स्थितियों से पार पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक का अटैक किसी भी उम्र, वर्ग और लिंग में हो सकता है। युवा पीढी तेजी से इस बीमारी की गिरफ्त में आ रही है। जिसे हम यंग स्ट्रोक कहते हैं। उन्होंने कहा कि उच्चरक्तचाप, मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल और गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन करने वालो को ब्रेन स्ट्रोक होने का अधिक खतरा रहता है। शराब का अधिक सेवन भी इस खतरे को बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक का इलाज संभव है। इसे रोका जा सकता है बशर्ते जागरुकता कार्यक्रमों पर जोर दिया जाए। युवाओं में तनाव का बढना, खराब आहार सेवन ब्रेन स्ट्रोक का प्रमुख कारण है।

उन्होंने कहा कि इलाज में देरी होने पर लाखों न्यूरॉन्स क्षतिग्रस्त हो जाते है। जिससे मस्तिष्क के अधिकतर कार्य प्रभावित होते हैं। इसलिए रोगी को समय पर चिकित्सा सहायता प्रदान करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर मे हर साल शॉक से 2 करोड लोग इस बीमारी से पीडि़त होते हैं जिनमें से 50 लाख लोगो की मौत हो जाती है। करीब 50 लाख लोग अपाहिज हो जाते है। डॉ. वर्मा ने स्ट्रोक से बचने के लिए रक्तचाप घटाने, वजन कम करने, व्यायाम करने, शराब का सेवन न करने, मधुमेह पर नियंत्रण करने, धुम्रपान छोडऩे, आर्टियल फाइब्रिलेशन का इलाज कराने और बीएमआई कुल्लेे और कमर के अनुपात को सही बनाए रखने को बचाव के लिए कारगर बताया।