नगरा (बलिया)। एक तरफ मौसमी बिमारियों का कहर जारी है लोग परेशान हो चुके है तो वहीं दूसरी तरफ मरीजों को सरकारी अस्पताल में समय से दवा नहीं मिल पा रही है और ऐसे में भारी मात्रा में दवाएं एक्सपायर होने पर फेंकी जा रही है। गौरतलब है कि न दवाओं को समय पर प्रयोग नहीं किया जा रहा है। जिससे ये दवाएं एक्सपायर हो रही है। अस्पतालों में भारी मात्रा में एक्सपाइरी दवा का होना समूचे सिस्टम को कठघरे में खड़ा करने के लिए पर्याप्त है। नगरा रसड़ा मार्ग पर लकड़ा नाले के पुलिया के समीप सड़क के किनारे भारी मात्रा में एक्सपाइरी दवा फेंके जाने से हर कोई अवाक हो गया है। शुक्रवार को सड़क के किनारे दवा के पत्तों को देख लोगों की भीड़ लग गई।
इन एक्सपाइरी दवाओं में डाईसाइक्लोमीन काफी मात्रा में थी। इसके बगल में प्लास्टिक के थैले में अन्य दवाएं भी थीं। भयवश थैले को कोई खोल नहीं रहा था। डाईसाइक्लोमीन पेट दर्द की दवा है। यह दवा सितंबर 2019 में बनी थी व अगस्त 2021 में एक्सपायर हो गई थी। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार एक्सपायर हो चुकी दवाओं को घोल बना कर नष्ट कर दिया जाता है या मिट्टी में दबा दिया जाता है।
इस तरह दवाओं का फेंका जाना स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिह्न है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, नगरा के प्रभारी चिकित्साधिकारी-डा.टीएन यादव ने बताया कि फेंकी गई एक्सपाइरी दवाएं मेरे संज्ञान में नहीं हैं। एक्सपायर हो चुकी दवाओं का घोल बना कर नष्ट कर दिया जाता है। इस तरह खुले में फेंका जाना नियम विरुद्ध है। इसकी जांच करा कर दोषी के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।