लखनऊ (यूपी)। आयुर्वेदिक, यूनानी व होम्योपैथी औषधियों और योग व प्राकृतिक चिकित्सा के मर्दाना ताकत के अश्लील विज्ञापनों पर प्रदेश सरकार ने रोक लगा दी है। सरकार का मानना है कि इनके जरिए भ्रामक प्रचार किया जा रहा था।
निदेशक आयुर्वेद प्रो. एसएन सिंह ने बताया कि प्रदेश में आयुर्वेद औषधि निर्माता एवं विक्रेता फर्मो द्वारा किए जा रहे भ्रामक प्रचार-प्रसार आदि के रोक-थाम के लिए आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध एवं होम्योपैथी (आयुष) विज्ञापनों पर रोक लगा दी गई है।
निदेशक आयुर्वेद ने बताया कि आयुर्वेद औषधियों के निर्माता या उसका अभिकर्ता किसी रोग, विकार, लक्षण अथवा दशा के निदान, इलाज, शमन उपचार या निवारण के उपयोग के लिए किसी औषधि संबंधी किसी विज्ञापन के प्रकाशन में भाग नही लेंगे। आयुर्वेद, औषधि निर्माताओं को अब विज्ञापन प्रसारित करने के लिए आवेदन करके विशिष्ट पहचान संख्या लेनी होगी। उन्होंने बताया कि ऐसे विज्ञापन जो अपूर्ण हो या जिसमें विज्ञापन निर्माता का संपर्क विवरण नहीं होगा उसे मंजूरी नहीं मिलेगी। इसके अलावा विज्ञापन में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से अभद्रता और अश्लीलता पायी जाती है या ऐसी आयुर्वेदिक औषधि के विज्ञापन जिसमें उस औषधि के प्रयोग से पुरूष या महिला के यौनांगों की लम्बाई, आयाम या क्षमता बढ़ाने का सुझाव दिया गया होगा, को अस्वीकार कर दिया जाएगा।
इसके साथ ही अगर विज्ञापन में किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति या सरकारी पदधारियों के फोटो या प्रशंसा पत्र, प्रदर्शित किए गये होंगे ऐसे आवेदन राज्य अनुज्ञापन प्राधिकारी या औषधि नियंत्रक को एक निर्धारित प्रारूप में देने होंगे। आयुर्वेद निदेशक ने बताया कि अगर किसी आयुर्वेदिक औषधि के उत्पादन के लिए एक से अधिक राज्य में अनुज्ञापन दिए गए हैं तो विज्ञापन के लिए आवेदन उस राज्य के अनुज्ञापन प्राधिकारी के यहां देना होगा जहां पर निर्माता का कारपोरेट कार्यालय स्थित है। उन्होंने बताया कि आवश्यकता पडऩे पर राज्य अनुज्ञापन प्राधिकारी आवेदन के निपटान के लिए सम्बद्ध तकनीकी विशेषज्ञों से परामर्श ले सकता है। अनुज्ञापन प्राधिकारी या औषधि नियंत्रक अगर कोई सूचना आवेदक से मांगते है तो वह उसको देनी होगी वर्ना आवेदन को मंजूरी नहीं मिलेगी और आवेदन शुल्क भी जब्त कर लिया जाएगा।