केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि भारत में दवाओं की कीमतों में उछाल सरकार के किसी फैसले के कारण नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि एसेंशियल ड्रग की कैटेगरी में आने वाली कुछ दवाएं महंगी होंगी। बकौल स्वास्थ्य मंत्री, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) से जुड़े होने के कारण दवाओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दवाओं की कीमतों से जुड़े एख सवाल पर मंडाविया ने कहा कि एसेंशियल ड्रग की कैटेगरी वाली दवाएं पहले ही कम कीमत पर बिक रही हैं, लेकिन होलसेल प्राइस इंडेक्स से जुड़े होने के कारण इन्फ्लेशन के ट्रेंड का असर इन दवाओं की कीमतों पर भी पड़ेगा।

बता दें कि नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइस एसोसिएशन के एक फ़ैसले के बाद हाल ही में 800 से अधिक दवाओं की कीमतों में उछाल की आशंका बनी हुई है। फार्मास्यूटिकल एसोसिएशन के फैसले के कारण शेड्यूल्ड ड्रग्स की कीमतें बढ़ेंगी। खबरों के अनुसार 1 अप्रैल से दवाओं की कीमतें बढ़ जाएंगी। इसी बीच ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि पुराने स्टॉक पर भी नई कीमत वसूली जा रही है।

मेडिसिन प्राइसिंग पर स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने कहा, सरकार ने इस संबंध में ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है जिससे दवाओं की कीमतें बढ़ें. उन्होंने होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का हवाला देते हुए कहा कि एसेंसियल मेडिसिन WPI के कारण वैश्विक इन्फ्लेशन ट्रेंड से प्रभावित हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि WPI के कारण दवाएं महंगी होने के अलावा सस्ती भी हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि महंगाई दर घटने पर इन दवाओं की कीमतों में गिरावट आ सकती है।

मंडाविया ने कहा, यह ऐसी दवाएं हैं जो चंद रुपयों में आती हैं। अगर WPI में 10 फीसद का इजाफा होता है तो दवाओं की कीमतें कुछ पैसे बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है, और ना ही सरकार कीमतों को बढ़ाने की कोई योजना रखती है।

बता दें की नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंशियल मेडिसिन के तहत सूचीबद्ध शेड्यूल्ड ड्रग की कीमतें बढ़ाने का फैसला लिया गया है। इन दवाओं में पेरासिटामोल और एंटीबायोटिक हैं। इनका उपयोग बैक्टीरियल इनफेक्शन, एनीमिया विटामिन और मिनरल के रूप में किया जाता है।