राजस्थान में कोरोना का एक और बड़ा साइड इफेक्ट सामने आया है। कोरोना के कारण सामान्य बीमारियों के मरीज सरकारी अस्पतालों और औषधि भंडारों में पहुंचे ही नहीं। इस कारण मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत यहां भेजी गई करोड़ों रु. की दवाएं अक्टूबर में एक्सपायर हो गईं। नवंबर में भी करीब दो करोड़ रु. से ज्यादा की दवाएं बर्बाद होने के कगार पर हैं। वहीं चिकित्सा विभाग के निदेशक ने सभी जिलों के सीएमएचओ व पीएमओ काे नोटिस देकर अक्टूबर में एक्सपायर होने वाली दवाओं का समय रहते उपयोग नहीं होने का स्पष्ट कारण बताने के निर्देश दिए हैं। वहीं दवाओं की एक्सपायरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के भी निर्देश दिए हैं।

दरअसल दवाओ की एक्सपायरी को लेकर प्रदेश के सभी सीएमएचओ व पीएमओ को आगाह किया गया है। सरकार जानना चाहती है कि ऐसे क्या कारण रहे कि इतनी मात्रा में दवाएं एक्सपायर हुई हैं, इसलिए सभी सीएमएचओ व पीएमओ से दवाओं की एक्सपायरी के स्पष्ट कारण पूछे गए हैं। काफी संख्या में एमएनडीवाई के कंप्यूटर ऑपरेटर की कोरोना में ड्यूटी लगने के कारण मरीजों की दवा पर्ची की ऑनलाइन एंट्री भी नहीं हुई है। प्रत्येक जिले से रिपोर्ट आने के बाद ही सही कारण स्पष्ट हो सकेंगे। – डॉ. मोहम्मद रफीक, प्रदेश नोडल अधिकारी, मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना
गौरतलब है कि भविष्य में ऐसा ना हो, इसके लिए प्रत्येक महीने एक्सपायर होने वाली दवाओं की सूची ई-औषधि सॉफ्टवेयर से डाउनलोड करने के भी निर्देश दिए गए हैं। अक्टूबर में प्रदेश भर में 75,76,490 रुपए की दवाएं एक्सपायर हो गईं। नवंबर में 2 करोड़ 9 लाख 91 हजार रु. की दवाएं एक्सपायर हो सकती हैं।