अम्बाला, बृजेंद्र मल्होत्रा। दवा के किसी भी उत्पाद के बाजार में बिकने देने या ना बिकने देने पर राज्य संगठन पूर्ण अंकुश राष्ट्रीय संगठन की अनुमति से लगाता है जिसके चलते दवा निर्माता से प्रति उत्पाद प्रति जिला रुपए 500 एकत्रित किए जाते हंै। राज्य स्तर पर रुपए 2000 प्रति उत्पाद लेने के बाद जिला स्तर पर रुपए 500 प्रति उत्पाद प्रति स्ट्रैंथ दवा निर्माता कंपनी से वसूला जाता है। यदि दवा निर्माता किसी राज्य या जिले में संगठन द्वारा तय पैमाने के अनुसार शुल्क नहीं देते तो उस दवा निर्माता कंपनी के उत्पाद को बाजार में बिकने नहीं दिया जाता। इसे संगठन की एकता कहें या एफडीए डीसीजीआई के समानांतर उनकी संगठनात्मक कार्यवाही को चलाने के लिए खर्चा-पानी एकत्रीकरण का स्रोत।
दवा निर्माता कंपनी राष्ट्रीय संगठन को सूचित करती हैं कि हमारी कंपनी ने उदाहरण के तौर पर 10 उत्पाद बाजार में उतारने की लिस्ट सहित उसका राष्ट्रीय संगठन के नियमों अनुसार रुपए 2000 प्रति उत्पाद के हिसाब से 20 हजार रुपए का चेक संलग्न कर इस आशय से प्रेषित किया जाता है कि पूरे देश में इस उत्पाद को बेचने के लिए राष्ट्रीय कार्यालय से अनुमति मिल सके। वहीं राष्ट्रीय कार्यालय इस रकम की पावती चेक देने वाले दवा निर्माता को उपलब्ध करवाती है। ऐसे में राष्ट्रीय कार्यालय प्रत्येक राज्य में ई-मेल द्वारा सूचित कर देता है कि इस कंपनी के इतने उत्पाद बाजार में विक्रय के लिए आ रहे हैं, अत: राज्य स्तर पर आप अपना शेयर लेने हेतु चौकन्ने रहें। जैसे ही कंपनी अपना उत्पाद लेकर किसी भी राज्य में सेल शुरू करती है तो राज्य संगठन उस दवा निर्माता को फोन या मौखिक रूप से सूचना दे देते हैं कि इस उत्पाद का शुल्क समय रहते जमा कराएं ताकि संगठन द्वारा असहयोग आंदोलन की मार न पड़ सके। कई बार राष्ट्रीय तथा राज्य संगठन कंपनियों से शुल्क तो ले लेते हैं परंतु दवा व्यापारियों को उन्हें उत्पाद की जानकारी नहीं दे पाते, जिसके चलते कंपनियों को नुकसान होता है वहीं राष्ट्रीय संगठन के धंधे में कुछ काला नजर आने लगता है। ऐसे में जब किसी दवा निर्माता द्वारा राष्ट्रीय संगठन को अपने उत्पाद का एंट्री फीस के नाम से चेक नहीं दिया। उसके उत्पाद बाजार में नहीं उतर पाते। मामला कंपीटिशन कमिशन ऑफ इंडिया के पटल पर पहुंचा तो गहन छानबीन के पश्चात जलगांव मेडिसिन डीलर एसोसिएशन पर भारी भरकम जुर्माना लगा। इसमें अध्यक्ष पर 2,15000 रुपए, सचिव पर एक लाख 28 हजार रुपए तथा एसोसिएशन पर 80 हजार का जुर्माना वसूलने के आदेश पारित हुए हैं।
कंपीटिशन कमिशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक ने अपनी जांच में पाया कि दवा निर्माताओं द्वारा अपने उत्पादों की बिक्री की स्वीकृति के लिए भुगतान शुल्क जमा करवाने के बावजूद उनके उत्पादों की जानकारी संगठन के बुलेटिन में प्रकाशित नहीं की गई। ना ही राज्य व जिला स्तर पर कोई जानकारी राष्ट्रीय संगठन द्वारा उपलब्ध करवाई गई। इससे उनके द्वारा निर्मित उत्पादों को बाजार में बेचने के लिए अत्याधिक परेशानियों का सामना करना पड़ा तथा राष्ट्रीय संगठन युवा राज्य संगठन की कार्यप्रणाली शक के दायरे में आ गई। इस जागरूक सदस्य ने मामला केंद्र सरकार के संज्ञान में लाया। राज्य व राष्ट्रीय संगठन आज उस जागरूक सदस्य को येन केन प्रकारेण तंग करने पर तुली हुई है ताकि वह दवा व्यवसाय छोड़ दे या संगठन के विरुद्ध केंद्र या राज्य सरकार को कोई भी संगठन की कमजोरी ना पहुंचाए।