रायबरेली : गर्मी के मौसम में सरकारी अस्पतालों में दवाओं का टोटा हो गया है। ऐसे समय में उल्टी, एलर्जी और दर्द की दवाओं के लिए मरीजों को भटकना पड़ रहा है। आलम यह है कि मरीजों को दवाएं बाजार से खरीदनी पड़ रही हैं। तमाम अस्पतालों में पैरासिटामॉल भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है।
जिन दवाओं की सीजन में जरूरत होती है, उन दवाओं की कमी हमेशा बनी रहती है। वर्तमान समय में उल्टी दस्त और डायरिंया के मरीजों की संख्या अस्पतालों में बढ़ रहे हैं, लेकिन अस्पतालों में उल्टी-दस्त को रोकने के लिए इंजेक्शन और टैबलेट नहीं हैं।
केंद्रीय दवा भंडार लखनऊ से सीधे सीएचसी और पीएचसी को दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। पूर्व में सीएमओ कार्यालय स्थित दवा गोदाम से अस्पतालों को दवाएं भेजी जाती थीं, लेकिन पिछले एक साल से दवाओं के संबंध में सीएमओ के हस्तक्षेप को खत्म करके सीधे अस्पतालों तक दवाएं पहुंचाने की व्यवस्था की गई है।
20 से अधिक दवाएं अस्पतालों में उपलब्ध नहीं हैं। कई अस्पतालों में तो कुछ दवाओ से ही काम चलाया जा रहा है।
इस मामले में सीएमओ डॉ. वीरेंद्र सिंह ने कहा कि यूपी मेडिकल सप्लाई कॉर्पोरेशन से सीधे सीएचसी और पीएचसी पर दवाएं पहुंचाई जाती है। दवा की उपलब्धता के संबंध में सीएचसी स्तर पर ही रिकार्ड है। हालांकि कुछ दवाओं की समस्या सामने आ रही है।