नई दिल्ली। कोरोना की जंग अभी खत्म नहीं हुई है कि इस बीच एक और नई आफत आ गई है। ये नई आफत है ब्लैक फंगस है। कोरोना को मात देने वाले तमाम लोग इस बीमारी के चंगुल में फंसते जा रहे हैं। कई राज्यों में ब्लैक फंगस (Mucormycosis) के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया गया है। ब्लैक फंगस के इलाज में एम्फोटेरिसीन-बी का उपयोग होने वाली दवा की कमी सामने आने के बाद अब इसके उत्पादन के लिए 3 दिन में 5 कंपनियों को मंजूरी दी गई है।
ब्लैक फंगस के नाम से चर्चित म्यूकोरमाइकोसिस नाक, आंख और कभी-कभी दिमाग को भी नुकसान पहुंचाता है। केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने ने ट्विटर पर लिखा है कि ‘ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) के इलाज में उपयोगी एम्फोटेरिसीन-बी की उत्पादन के लिए 3 दिनों के अंदर 5 और दवा कंपनियों को भारत में औषधि बनाने की मंजूरी दी गई है। ये कंपनियां मौजूदा 6 दवा कंपनियों के अलावा हैं।
रसायन और उर्वरक राज्यमंत्री ने यह भी कहा कि मौजूदा दवा कंपनियों माइलान, बीडीआर फार्मा, सन फार्मा और सिप्ला जैसी कंपनियां पहले से ही इस दवा के उत्पादन में लगी हुई हैं। जो औषधि का उत्पादन बढ़ाना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही एमक्योर फार्मास्युटिकल्स, नैटको फार्मा, गुफिक बायोसाइंस, एलेम्बिक फार्मास्युटिकल्स और लाइका फार्मास्युटिकल्स को हाल के दिनों में एम्फोटेरिसीन-बी के उत्पादन के लिए मंजूरी मिली है। भारतीय कंपनियों ने एम्फोटेरिसीन-बी की 6 लाख खुराक के आयात के लिए भी ऑर्डर दिए हैं। हम स्थिति सामान्य करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।