रांची। झारखंड की राजधानी रांची के बिजूपाड़ा में फार्मास्यूटिकल पार्क बनेगा। उद्योग विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। लगभग 50 एकड़ जमीन भी यहां चिह्नित की गई है। उद्योग विभाग के आंकड़ों के अनुसार झारखंड में दवा का कारोबार 1248 करोड़ रुपये का है। इस कारोबार में प्रत्येक वर्ष 18 प्रतिशत की वृद्धि भी हो रही है। दवा कारोबार के बढ़ते कदम को देखते हुए झारखंड सरकार अब दवा कंपनियों के लिए राज्य में ही फार्मा पार्क बना रही है, ताकि यहीं पर दवा का निर्माण हो सके। आंकड़ों के अनुसार पूरे देश के दवा के कारोबार में झारखंड की हिस्सेदारी मात्र एक प्रतिशत है, जबकि पूर्वी भारत में झारखंड की हिस्सेदारी पांच प्रतिशत तक की है। झारखंड में दवा कारोबार में एंटी डायबिटिक दवा का मार्केट में ग्रोथ रेट 25 प्रतिशत तक है। एंटी इंफेक्शन का 12 प्रतिशत, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल का 17 प्रतिशत, कार्डियक का 18 प्रतिशत, रेस्पाइरेटरी का 11 प्रतिशत, पेन का 16 प्रतिशत, विटामिन, न्यूरो और गायनिक का 13-13 प्रतिशत तथा डर्मा का 14 प्रतिशत तक ग्रोथ रेट है। फार्मास्यूटिकल पार्क राजधानी रांची के चान्हों प्रखंड के बिजूपाड़ा में करीब 50 एकड़ के क्षेत्रफल में बनेगा. यहां फार्मास्यूटिकल कंपनियों के लिए प्लॉट आवंटित किये जायेंगे। इसमें माइक्रो के लिए 29, स्मॉल के लिए 14, मीडियम के लिए सात और लार्ज कंपनी के लिए चार प्लॉट चिह्नित किये गये हैं। साथ ही फार्मा पार्क में सडक़, बैंक, पोस्ट ऑफिस, प्रशासनिक भवन, कैंटिन, क्रेच की व्यवस्था भी होगी। 1.59 एकड़ में ओपन स्पेस छोड़ा गया है। फार्मा पार्क में जहां दवा बनाने, रिसर्च करने, नयी दवा की खोज करने, क्लिनिकल डाटा मैनेजमेंट की व्यवस्था भी होगी। फार्मा पार्क में दवा निर्माताओं को उद्योग लगाने पर कई छूट का प्रावधान भी राज्य सरकार की ओर से किया गया है। इसमें परियोजना निवेश पर 20 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है। साथ ही स्टांप ड्यूटी व रजिस्ट्रेशन पर 100 प्रतिशत की छूट, क्वालिटी सर्टिफिकेशन पर 10 लाख रुपये तक की सहायता दी जा रही है। पेटेंट रजिस्ट्रेशन कराने पर भी 10 लाख रुपये तक की छूट दी जा रही है।
जीएसटी अनुदान के रूप में 75 से 80 प्रतिशत तक की छूट दी जा रही है। साथ ही इंटरेस्ट सब्सिडी भी पांच फीसदी तक दी जा रही है। राज्य सरकार ने इस क्षेत्र में निवेश के लिए निवेशकों को आमंत्रित किया है वहीं, कोई निवेशक फार्मा पार्क भी बनाने चाहते हैं, तो सरकार द्वारा 50 प्रतिशत तक के अनुदान का प्रावधान किया गया है।