रोहतक। हेल्थ साइंस यूनिवर्सिटी और पीजीआईएमएस प्रशासन मिशन एकता समिति की अध्यक्ष और जानी-मानी दलित नेता कांता आलडिय़ा तथा भारतीय प्रजापति हीरोज आर्गेनाइजेशन के प्रांतीय अध्यक्ष शिव कुमार रंगीला के दबाव में रेजीडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन की हड़ताल के दौरान उचित इलाज न मिल पाने के कारण मौत के मुंह में समाए लगभग सभी 36 मरीजों की मृत्यु के मामलों की उच्च स्तरीय जांच कराने को तैयार हो गया है। जानकारी के अनुसार प्रशासन ने जांच के लिए तीन वरिष्ठ डाक्टरों की एक कमेटी गठित कर दी है, जो यह छानबीन करेगी कि मरीजों की मौत के मामलों में रेजीडेंट डाक्टरों की हड़ताल या इलाज में बरती गई किसी तरह की लापरवाही तो जिम्मेदार नहीं है। जांच कमेटी का चेयरमैन मेडीसन विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डा. वीके कत्याल को बनाया गया है। इसी विभाग के प्रोफेसर डा. सुधीर अत्री और फोरेंसिक साइंस विभाग के प्रोफेसर डा. लव शर्मा कमेटी के अन्य सदस्य होंगे। शिकायतकर्ता कांता आलडिय़ा और शिव कुमार रंगीला को भी जांच कमेटी में विशेष आमत्रित सदस्य के तौर पर रखा गया है। यह पहली दफा देखने में आया है कि किसी जांच कमेटी में खुद शिकायतकर्ताओं को भी शामिल किया गया हो। इस कमेटी को तीन माह के भीतर मुकम्मल जांच कर के अपनी रिपर्ट हैल्थ साइंस यूनिवर्सिटी प्रशासन को सौंपनी होगी ।
एक रोचक तथ्य यह भी है कि पीजीआईएमएस थाने के रोजनामचे में इस संबंध में एक रपट भी दर्ज की गई है, जिसमें कहा गया है कि डाक्टरों की हड़ताल के दौरान अनेक मरीजों की मृत्यु के संबंध में शिकायतें आई हैं, जिनके संबंध में एक जांच कमेटी गठित की गई है। जांच के बाद कमेटी की रिपोर्ट जैसी भी होगी, कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
गौरतलब है कि मिशन एकता समिति की अध्यक्ष कांता आलडय़िा और भारतीय प्रजापति हीरोज आर्गेनाइजेशन के प्रदेशाध्यक्ष शिव कुमार रंगीला ने रेजीडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन की हड़ताल को खत्म करवाने और पीजीआईएमएस में मरीजों की अनदेखी को लेकर विरोधस्वरूप हैल्थ साइंस यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के कार्यालय के बाहर पांच अक्तूबर को धरना शुरू कर दिया था । उसी दिन सांपला नगर पालिका के काउंसलर शिव कुमार रंगीला के पिता धर्मबीर की अचानक तबियत बिगड़ गई और उन्हें पीजीआईएमएस में दाखिल कराया गया, लेकिन रेजीडेंट डाक्टरों की हड़ताल के चलते पीजीआईएमएस में उनका इलाज ढंग से नहीं हो पाया और उनकी हालत बिगड़ती चली गई। आखिर अगले दिन यानि छह अक्तूबर को 58 वर्षीय गंभीर बीमार धर्मबीर सिंह को उनके परिजन पीजीआईएमएस से उठा कर मेडीकल मोड़ स्थित ‘ऑस्कर’ नाम के एक प्राइवेट अस्पताल में ले गये जहां 7 अक्टूबर को शाम पांच बजे डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
इस संबंध में कांता आलडिय़ा और शिव कुमार रंगीला ने रोहतक के पुलिस अधीक्षक के पत्र लिख कर आरोप लगाया था कि पिछले एक साल में डॉक्टरों की बार-बार हड़ताल के कारण 100 से अधिक लोगों की बेवजह मौत हो चुकी है। मौजूदा हड़ताल में भी 35 लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं। उन्होंने पुलिस अधीक्षक से रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों व अन्य जिम्मेदार डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग करते हुए चेतावनी दी थी कि जब तक धर्मवीर की मौत के लिए उत्तरदायी डाक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं होगा, तब तक हम न तो शव को ही अस्पताल से उठाएंगे और न शव का दाह संस्कार ही करेंगे। जब कांता आलडिय़ा ने एलान कर दिया कि मिशन एकता समिति के कार्यकर्ता मृतक धर्मबीर सिंह के शव को लेकर वाइस चांसलर के कार्यालय पर प्रदर्शन करेंगे तो पीएम मोदी की नौ अक्तूबर की रैली की तैयारियों में जुटे जिला प्रशासन के हाथ-पांव फूल गये । जिला प्रशासन व पुलिस के आला अधिकारियों ने मीटिंग कर फौरन इस मामले का हल निकालने का निर्णय किया। आखिर हैल्थ साइंस यूनिवर्सिटी प्रशासन को भी भरोसे में लेकर जांच कमेटी गठित कराने का फैसला लिया गया । आनन-फानन में जांच कमेटी गठित करने और पुलिस के रोजनामचे में मामला दर्ज कराने के फैसले की कापी मिलने के बाद कांता आलडिय़ा और उनके साथियों ने वाइस चांसलर ऑफिस के सामने से धरना खत्म करने का एलान कर दिया। हड़ताली रेजीडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) की सभी मांगें स्वीकार करके आंदोलन खत्म कराने के बाद जिला प्रशासन और हैल्थ साइंस यूनिवर्सिटी ने अभी राहत की सांस ली ही थी कि कांता आलडिय़ा और उनके साथियों के धरने के रूप में एक और मुसीबत इनके गले पड़ गई थी, जो आखिर टल गई ।