पीजीआई रोहतक स्वास्थ्य सेवाओं से ज्यादा विवादों को लेकर सुर्खियों में रहता है। डॉक्टरों की दवाओं में कमीशन, मरीजों का दवा न मिलना, जांच मशीने खराब रहना, डॉक्टरों द्वारा मरीजों को बाहर निजी अस्पतालों का रास्ता दिखाना आदि ढेर सारी गड़बडिय़ां हैं, जिनके चलते आए दिन मरीजों के सहायक और प्रबंधन के बीच तीखी नोक-झोंक चलती रहती है। ताजा मामला बेहद हैरान करने वाला है। दरअसल, पीजीआईएमएस संस्थान द्वारा साल 2010 तक रेडियोथैरेपी डिप्लोमा कराया जाता था। वर्तमान में इसी संस्थान में नौकरी के लिए आवेदन करने वाले रेडियोग्राफरों को अब कहा जा रहा है कि उनका डिप्लोमा वैध नहीं है।
कुलसचिव को लिखि शिकायत में एक रेडियोग्राफर ने बताया कि उस समय उन्होंने एक बॉन्ड भरा था, जिसमें स्पष्ट लिखा था कि इस डिप्लोमा के आधार पर वे प्रदेश या पीजीआईएमएस रोहतक में सरकारी नौकरी कर सकते हैं। इसलिए उन्होंने साल 2016 में जून में निकले रेडियोग्राफर पद के लिए आवेदन भरे थे। इसके तहत सितंबर 2017 में डॉक्यूमेंट वेरीफिकेशन होना था लेकिन अब उनके डिप्लोमा को जांच में शामिल नहीं किया गया है। इस वजह से वे बेरोजगार हो गए। पीजीआई की इस कार्यशैली से रेडियोग्राफर गुस्से में हैं। रजिस्ट्रार कार्यालय में एकत्रित हुए रेडियोग्राफरों ने विरोध की रणनीति बनाई। उन्होंने रजिस्ट्रार के नाम शिकायत देकर उचित कार्रवाई की मांग की और स्पष्ट कहा कि उनके डिप्लोमा को स्वीकृत नहीं किया गया तो कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।