रोहतक। कोरोना अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ कि मंकीपॉक्स नाम की बीमारी ने देश में दस्तक दे दी है। केरल और दिल्ली के बाद हरियाणा के सोनीपत जिले में भी एक संदिग्ध मरीज मिल गया है। वह केरल से लौटा था तभी ये लक्षण दिखने लगे। रोहतक में भी मंकीपॉक्स वायरस का खतरा भी लोगों को डराने लगा है। रोहतक स्वास्थ्य विभाग ने भी जिले में हाई अलर्ट जारी कर इस महामारी से निपटने की तैयारियां तेज कर दी गई है।
मंकीपॉक्स वायरस से निपटने के लिए सिविल अस्पताल से लेकर सीएचसी तक बेड रिजर्व कर दिए गए हैं। पीजीआई में अलग आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। साथ ही डॉक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि किसी में भी संदिग्ध लक्षण नजर आये तो तुरंत जांच करवाई जाये। इसी कड़ी में बुधवार को पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में कुलपति डॉ. अनीता सक्सेना की अध्यक्षता में मंकीपॉक्स को लेकर बैठक बुलाई गई। यहां मंकीपॉक्स से निपटने से संबंधित जरूरी दिशा-निर्देश दिए गए।
मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ ने जिले में हाई अलर्ट जारी किया है। इसके बाद जिले में स्वास्थ्य विभाग ने हर संभव हालात से निपटने के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। इसमें सिविल अस्पताल और सभी सीएचसी पर आठ-आठ बेड रिजर्व किए हैं। मरीजों को अलग कमरों में रखने की व्यवस्था की है। मरीज आने पर सिविल अस्पताल व सीएचसी में अलग वार्ड तब्दील करने का प्लान है। वह भी अस्पताल के पीछे के हिस्से में होगा। इससे अन्य मरीजों और तीमारदारों की आवाजाही खत्म हो सके। मंकीपॉक्स का संक्रमण बढ़ने पर कोविड के बचाव में जुटी टीमों को ही लगाया जाएगा। पीजीआई की माइक्रोबायोलॉजी लैब में सैंपल की जांच कराने की योजना बनाई है। डॉक्टरों को किसी में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखें तो उन्हें जांच कराकर दूसरे मरीजों से अलग रखने के निर्देश हैं।
पीजीआई चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ईश्वर सिंह ने कहा कि कुलपति ने मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए अलग से आइसोलेशन वार्ड बनाने के आदेश जारी कर दिए हैं। वहीं, चर्म रोग विभागाध्यक्ष को नोडल अधिकारी बनाया गया है। उन्होंने कहा कि माइक्रोबॉयोलोजी विभाग, मेडिसन, शिशु रोग एवं कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के चिकित्सकों की टीम बनाई गई है। यदि कोई मंकीपॉक्स का मरीज आता है तो उसका सैंपल कैसे लिया जाएं, इसके लिए ट्रेनिंग प्रदान की जाएगी और रिकॉर्ड कोविड कंट्रोल रूम में रखा जाएगा। मंकी पॉक्स वायरस के केस बढ़ने के दौरान जिले की सीएचसी पर हर समय एंबुलेंस और स्टाफ रखने की बात कही गई है। इसे मंकीपॉक्स संक्रमित को लाने व ले जाने के लिए रिजर्व रखा जाएगा। जबकि दूसरे सामान्य मरीजों के लिए अलग से एंबुलेंस और स्टाफ रहेगा।
डॉ. अर्पणा परमार ने कहा कि मंकीपॉक्स एक डीएनए वायरस है। यह अलग-अलग स्टेज में फैलता है। मंकीपॉक्स से संक्रमित शख्स के संपर्क में आने से यह वायरल एक से दूसरे शख्स तक पहुंचता है। खास तौर पर यदि संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर उभरे दानों को छूने पर। मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति को छूने के अलावा उसके कपड़े, टॉवल, बिस्तर आदि साझा करने पर भी यह संक्रमण फैलता है। करीब बैठे संक्रमित की छींक या खांसी से निकले ड्रॉपलेट्स से भी यह संक्रमण एक से दूसरे व्यक्ति को हो सकता है।
मंकीपॉक्स के लक्षण संक्रमित होने के 5 से 21 दिन के भीतर दिखाई पड़ते हैं। मंकीपॉक्स संक्रमण के बाद तेज बुखार, सिरदर्द, शरीर दर्द, कमर दर्द, ठंड लगना और थकावट जैसे प्राथमिक लक्षण दिखाई पड़ते हैं। इसके बाद शरीर पर चकते और लाल दाने दिखाई पड़ते हैं। चेहरे के अलावा शरीर के दूसरे हिस्सों पर भी यह दिखाई देते हैं। गुप्तांगों पर भी दाने निकलते हैं। कुछ सप्ताह बाद ये लक्षण आमतौर पर ठीक हो जाते हैं।
कोरोना की तरह मंकीपॉक्स से बचाव के लिए भी डॉक्टर बार-बार हाथ धोने और सैनिटाइजर्स के इस्तेमाल की सलाह दे रहे हैं। अपने पार्टनर से सेक्सुअल हेल्थ के बारे में बात करें और सुनिश्चित कर लें कि किसी तरह का कोई लक्षण तो नहीं। यदि मंकीपॉक्स का कोई भी लक्षण हो तो सेक्स और दूसरे किसी व्यक्ति से संपर्क ना बनाएं। यदि किसी में लक्षण दिख रहा तो बिस्तर या टॉवल साझा ना करें। एक मीटर से अधिक की दूरी बनाकर रखें। बीमार और लावारिश पशुओं से दूरी रखें। जिन देशों में मंकीपॉक्स के केस अधिक हैं, वहां जाने से परहेज कर सकते हैं।